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NDA के साथी – किसमें कितना ताकत है? क्या गठबंधन में कोई कमजोरी है?

by Nikhil

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के बाद, तीसरी बार NDA की सरकार बनने जा रही है। नरेंद्र मोदी 9 जून को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। BJP को बहुमत से दूर रहकर केवल 240 सीटें मिली हैं, जबकि NDA को 293 सीटें हैं। चंद्रबाबू नायडू की TDP को 16 सीटें और नीतीश कुमार की JDU को 12 सीटें मिली हैं। इसलिए नरेंद्र मोदी की सरकार नायडू और नीतीश के सहयोग पर आधारित रहेगी। चर्चा यह भी है कि सहयोगी दल BJP पर अपनी पसंद के पोर्टफोलियों के लिए दबाव बनाए हुए हैं।

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू दोनों ही पहले से ही NDA के सदस्य थे और गठबंधन को छोड़ चुके हैं। दोनों नेता को हार्ड बार्गेनर माना जाता है। 2019 में NDA की सरकार में रहते हुए चंद्रबाबू नायडू ने केंद्र सरकार पर आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का दबाव बनाया था, लेकिन यह मांग पूरी नहीं होने पर उन्होंने समर्थन वापस ले लिया था। TDP के दो मंत्रियों ने भी इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, इससे मोदी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा, क्योंकि BJP पूर्ण बहुमत में थी। इसी तरह, नीतीश कुमार भी बिहार के लिए स्पेशल राज्य के दर्जे और जातीय जनगणना और मुस्लिम आरक्षण के हिमायती रहे हैं।

NDA से TDP-JDU बाहर हो जाए तो स्थिति कैसी होगी? मोदी सरकार 3.0 में अगर TDP-JDU समर्थन वापस ले, तो तीन संभावित सिनेरियों के बारे में विचार किया जा सकता है:

1. अगर नीतीश कुमार की JDU एक बार फिर से NDA से बाहर जाती है, तो NDA की 293 सीटें 281 तक घटेंगी। हालांकि, इस केस में भी NDA बहुमत के आंकड़े 272 से ऊपर रहेगी। अगर JDU कांग्रेस की अगुवाई वाले INDIA अलायंस में शामिल हो जाती है, तो इस केस में INDIA की सीटें 232 से बढ़कर 244 हो जाएंगी। लेकिन फिर भी ये बहुमत के आंकड़ों में 28 कमी होगी। यह स्पष्ट है कि JDU के अकेले INDIA में जाने से NDA की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

2. अगर TDP गठबंधन से बाहर आती है, तो NDA 293 की जगह 277 पर रह जाएगी। फिर भी NDA का बहुमत बना रहेगा, क्योंकि JDU साथ रहेगी। TDP की 16 सीटें INDIA में जाती हैं, तो INDIA 232 से बढ़कर 248 पर पहुंच जाएगी, लेकिन अभी भी वह बहुमत से 24 सीटें दूर होगी।

3. अब एक तीसरी स्थिति की कल्पना करें। अगर TDP और JDU दोनों NDA से अलग हो जाते हैं और INDIA के साथ आते हैं, तो इस केस में INDIA 260 सीटों तक पहुंच जाएगी। लेकिन फिर भी बहुमत से 12 सीटें कम रहेंगी। जबकि NDA की सीटें 265 रह जाएंगी। यानी, वह भी बहुमत से 8 सीटें कम रहेगी।

यह स्पष्ट है कि JDU-TDP के पास मोल-भाव की ताकत है, लेकिन इस ताकत की एक सीमा भी है। उन्हें यह भी पता है कि INDIA गठबंधन में सीधे चले जाना राजनीतिक नासमझी का कारण बन सकता है।

अहम मंत्रालयों पर सहयोगियों की नज़र
– सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार की JDU ने नई सरकार में रेल मंत्रालय और कृषि मंत्रालय की मांग रखी है। उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की भी शर्त रखी है।

– चंद्रबाबू नायडू की TDP ने भी लोकसभा स्पीकर पद की मांग की है। उन्होंने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा और 2 कैबिनेट मंत्री पद की भी मांग रखी है। 1998 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार में TDP के जीएमसी बालयोगी ही लोकसभा के स्पीकर थे। उनकी वजह से ही वाजपेयी की सरकार महज 1 वोट से गिर गई थी।