City Headlines

Home Uncategorized Mrigashira Nakshatra: राशि चक्र का पांचवां नक्षत्र है मृगशिरा, यहां जानें इसकी ताकत और कमजोरियां

Mrigashira Nakshatra: राशि चक्र का पांचवां नक्षत्र है मृगशिरा, यहां जानें इसकी ताकत और कमजोरियां

by

मृगशिरा (Mrigashira) राशिचक्र का पांचवां नक्षत्र है, जो वृष और मिथुन के तारामंडल में पाया जाता है, जो राशिचक्र के 53 डिग्री 20 मिनट से 66 डिग्री 40 मिनट तक फैला हुआ है. ओरायन के नक्षत्र समूह पोल स्टार या नॉर्थ पोल में इसका निवास है. यह नक्षत्र वृष राशि में दो चरण तक यानि 23 डिग्री 20 मिनट से लेकर 30 डिग्री तक और मिथुन राशि में 0 डिग्री से लेकर 6 डिग्री 40 मिनट तक फैला हुआ है. यह नक्षत्र मृग के शीर्ष के तीन तारों से बना है. यह नक्षत्र-समूह आकाश में नई संभावनाओं को खोजने और नए संबंधों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है. इस नक्षत्र के प्रथम दो चरण वृष राशि में आते हैं और उनका स्वामी शुक्र है और शेष दो चरण मिथुन राशि में फैले हुए हैं और इस राशि का स्वामी बुध है. इस नक्षत्र का स्वामी गतिशील या डाइनेमिक ग्रह मंगल है. इसका मूल गुण रजस अर्थात् सक्रियता और द्वितीय और तृतीय स्तर पर तमस है. मृगशिरा का देवता सोम (चंद्रमा) है, जो रहस्यमय अमृत का पान करते हुए दिव्यता और आलोक प्रदान करता है. मृगशिरा का मुख्य प्रेरक तत्व है, मोक्ष.

नक्षत्र और इसका आकार

मृगशिरा का शाब्दिक अर्थ है, मृग का सिर. मृग का अर्थ है हिरण और शिरा का अर्थ है सिर. मृगशिरा का दूसरा अर्थ है खोज. यह खोज भौतिकवादी या आध्यात्मिक दोनों ही हो सकती है. मृगशिरा का एक और अर्थ है नई यात्रा शुरू करना या प्रकटीकरण. भगवान् श्रीकृष्ण का भी इस नक्षत्र से गहरा संबंध है और वे भगवद्गीता में कहते हैं कि महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं. वर्तमान कलियुग का आरंभ मृगशिरा में महाविषुव या वरनल इकोनोक्स से होता है. कई प्राचीन विज्ञानों में भी लिखा है कि उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव में पृथ्वी के स्थानांतरण के कारण भारी प्राणिवैज्ञानिक या रेडिकल जियोलोजिकल परिवर्तन घटते रहते हैं और नये विकास की चेतना का प्रादुर्भाव होता है.

यह भी मान्यता है कि जो पिछला अंतरिक्ष में परिवर्तन आया था या ग्लोबल फैनोमेनन जो चेंजेस आए थे. उनका संबंध वर्तमान युग से है और जिसका प्रारम्भ मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है. भगवान् श्रीकृष्ण भगवद्गीता में यह भी कहते हैं कि इस ब्रह्मांड का आरंभ और अंत मेरी सत्ता के कारण ही होता है, लेकिन मैं अनश्वर हूं और नित्य बना रहता हूं. कदाचित् वे इसी तत्व की ओर ही इंगित कर रहे थे.

इस नक्षत्र-समूह के साथ अनेक शुभ प्रसंग और कहानियां जुड़ी हुई हैं. शिव पुराण में लिखा है कि शिव की पत्नी उमा का जन्म इसी नक्षत्र-समूह में हुआ था और बाद में उनका विवाह भी इसी नक्षत्र-समूह में हुआ. मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी चंद्रदेव अर्थात् सोम है, जो अमृत का प्रतीक है, जिसे उन लोगों के बीच बांटा जाता है, जो पूजा, प्रार्थना, यज्ञ और योग करते हैं.

चंद्रमा को लेकर एक और रोचक कहानी है. चंद्रमा बृहस्पति की पत्नी तारा के रूप पर मोहित था. चंद्रमा ने उसे अपने सौंदर्य से वश में कर लिया और दोनों वहां से गायब होकर एक साथ रहने लगे. चंद्रमा के बारे में यह जानने के बाद बृहस्पति सभी जगह उन्हें खोजने लगे. अंततः उन्होंने उन दोनों का पता लगा ही लिया और उन्होंने तारा से घर वापस आने के लिए कहा. सोम और तारा दोनों ही लौटना नहीं चाहते थे. इस मामले में अनेक देवताओं ने दखल दिया और चंद्रमा को सही रास्ते पर आने के लिए कहा. इस बारे में एक अड़चन भी थी. तारा के गर्भ में बुध नामक चंद्रमा का पुत्र पल रहा था. शुरू-शुरू में बृहस्पति चंद्रमा के अवैध पुत्र को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन यह जानने के बाद कि बुध बहुत बुद्धिमान् है तो उन्होंने उसे दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया. यदि चंद्रमा को इस ब्रह्मांड की बुद्धि का प्रत्यक्ष ज्ञान माना जाता है तो बुध को उसकी विश्लेषणात्मक दृष्टि माना जाता है. यह कहानी इस दुनिया के नए परिवार के आरंभ की कहानी है. मृगशिरा आरंभ में हलचल का संकेत देता है, लेकिन इसका अंत हमेशा शुभ होता है.

गुण और प्रेरक शक्ति

इस नक्षत्र का मूल गुण रजस अर्थात् कार्य या सक्रियता है, परंतु द्वितीय या तृतीय स्तर पर यह तमस या निष्क्रियता है. इस तारापुंज की प्राथमिक प्रेरणा है मोक्ष. इस नक्षत्र की प्रतीक सर्पिणी है जो अधिकार-भावना या ओवर पजेससिव और गुप्त शक्ति की मालिक है. रजस का मूल गुण दर्शाता है कि कार्य या एक्शन मूल शक्ति है जिसका नियमन उद्वेगों द्वारा किया जाता है. जब उद्वेग बहुत तीव्र होते हैं तो उन पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है और हालात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. जब वासना, लोभ, जुनून और अहंकार इकट्ठे हो जाते हैं तो अपने आप ही भूचाल आ जाता है. द्वितीय और तृतीय स्तर पर यह तमस या निष्क्रियता से भरा हुआ है.

यदि हम चंद्रमा और तारा की कहानी का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि आरंभ में इन पर भी वासना, लोभ और अहंकार हावी होते हैं और वे निष्क्रियता, अकर्मण्यता और नकारात्मकता की अवस्था में चले जाते हैं. इस नक्षत्र की प्रेरक शक्ति है मोक्ष. रजस की गतिविधियों का उद्देश्य है सक्रियता की संपूर्ण प्रक्रिया से अपने-आपको मुक्त करा लेना. यह तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक कि व्यक्ति तमस के पतन का शिकार नहीं हो जाता और फिर वहां से ऊपर उठने लगता है. चूंकि इस नक्षत्र की प्रेरक शक्ति मोक्ष है, इसलिए हर चीज का पहले पतन होता है और फिर नई यात्रा या नए जीवन की शुरुआत होती है.

आपकी ताकत

मृगशिरा-मंगल-शुक्र के मिलन से एक ऐसा वातावरण बनता है जिससे आंतरिक और बाहरी दोनों ही प्रकार की वृद्धि हो सकती है. भौतिकता के यथार्थ में आकंठ डूबने की इच्छा बलवती होती है और अपने विवेक के अनुसार ही इसके गुण-दोष को परखने का मन होता है. व्यक्ति के जीवन पर जायदाद का जो सांसारिक प्रभाव पड़ता है, उसे समझना और उसकी परख करना बहुत जरूरी है. जो लोग इस नक्षत्र में पैदा होते हैं उनमें संग्रह की प्रवृत्ति बहुत प्रबल होती है. साथ ही इस सांसारिकता से बाहर निकलने का आवेग बहुत गहरा होता है और इस मृगतृष्णा के मूल तत्व को समझने की इच्छा भी बनी रहती है. यही कारण है कि बहुत जल्द ही सांसारिकता से उनका मन उचट जाता है और वे आंतरिक समाधान की खोज में जुट जाते हैं. समय के साथ-साथ माया और भ्रम की धुंध साफ होने लगती है.

मृगशिरा-मंगल-बुध व्यक्ति को अपनी विचार प्रक्रिया में भेद करने के लिए प्रेरित करते हैं और उनके सामने उनकी भावी योजना का खाका स्पष्ट रूप में सामने आ जाता है. व्यक्ति भावी योजनाओं में ही खोया रहता है और अपनी सारी शक्ति अपने विचारों का महत्व समझे बिना ही नष्ट करने पर तुला रहता है. मंगल और बुध का मिलन उसकी कमियों को दूर करने में उसकी मदद करता है. मृगशिरा के कारण उसकी सकारात्मक शक्ति बनी रहती है ताकि वह अपने लक्ष्य को हासिल कर सके.

आप में जबरदस्त शक्ति का स्रोत होता है और यही कारण है कि आप अपनी शक्ति के स्रोत का उपयोग करने में कभी-कभी सफल भी हो जाते हैं. आप जानते हैं कि आपकी विचार-शक्ति में इतनी क्षमता है कि आप अपने बल पर एक नई दुनिया रच सकते हैं. एक बार जैसे ही आपकी विचार-प्रक्रिया स्पष्ट हो जाती है तो आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में पूरी ताकत से जुट जाते हैं. मूल रूप में आपको अपने-आप पर पूरा भरोसा होता है. यही कारण है कि आप अपनी प्राथमिकताओं पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित रखते हैं और दूसरों की मदद लेने से हिचकते हैं, क्योंकि अंदर ही अंदर आप जानते हैं कि आपमें इस काम को अंजाम देने की योग्यता और क्षमता मौजूद है. एक बार जब आप अपनी मंज़िल पा लेते हैं तो आप उन तमाम दूसरे लोगों की मदद करने के लिए भी तैयार हो जाते हैं जो ऐसे काम में आपकी मदद चाहते हैं.

आपमें कुछ न कुछ नया करने की इच्छा प्रबल रहती है. आपमें गहरे असंतोष का भाव बना रहता है और बिगड़े हुए हालात के कारण भ्रम की स्थिति भी बनी रहती है. इसलिए आपकी पूरी शक्ति बिगड़े हुए हालात को सुधारने में ही लगी रहती है. अपनी अंतःप्रज्ञा से आपको यह मालूम होता है कि द्वंद्व की प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही सार्थक जीवन जिया जा सकता है. एक बार जब आप अपने लिए मार्ग खोज लेते हैं तो आप उन लोगों की भी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं जो आपके लिए महत्वपूर्ण होते हैं.

आपकी कमजोरियां

आपके व्यक्तित्व का नकारात्मक पहलू यही है कि आप भोग-विलास में आकंठ डूब जाते हैं. अगर आप इस रास्ते पर चलते रहते हैं तो आप अधिकाधिक सुख पाने के लिए लालायित रहते हैं, जिसके कारण आपका जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है. ऐंद्रिक मोह इतना गहरा हो जाता है कि वह आपके लिए समस्या बन जाता है.

बहुत संवेदनशील होने के कारण आप छोटी-छोटी बातों को राई का पहाड़ बना देते हैं. कभी-कभी आपकी चंचल वृत्ति भी आपके लिए गंभीर समस्या पैदा कर देती है. सुख की कामना आपके लिए मृगतृष्णा बन जाती है. आपके पास जो कुछ है उससे आप असंतुष्ट रहते हैं और अधिक से अधिक पाने के लिए व्याकुल रहते हैं. भौतिक आसक्ति आप पर नकारात्मक असर डाल सकती है.

लेखक के बारे में: डॉ. अजय भांबी, ज्योतिष का एक जाना-पहचाना नाम हैं. डॉ. भांबी नक्षत्र ध्यान के विशेषज्ञ और उपचारकर्ता भी हैं. एक ज्योतिषी के रूप में पंडित भांबी की ख्याति दुनिया भर में फैली है. इन्होंने अंग्रेजी और हिंदी भाषा में कई किताबें लिखी हैं. साथ ही वह कई भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखते हैं. उनकी हालिया किताब प्लैनेटरी मेडिटेशन- ए कॉस्मिक अप्रोच इन इंग्लिश, काफी प्रसिद्ध हुई है. थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री द्वारा बैंकाक में उन्हें World Icon Award 2018 से सम्मानित किया गया. उन्हें अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी मिल चुका है.

Leave a Comment