पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा करने के लिए महाशिवरात्रि को सर्वोपरि माना जाता है। इस साल यह पर्व 8 मार्च शुक्रवार को होने जा रहा है। त्योहार सर्दियों के अंत का भी प्रतीक है। माना जाता है कि यह शिव और शक्ति के अभिसरण का भी दिन है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि महाशिवरात्रि को देवों के देव महादेव और जगत जननी माता पार्वती का विवाह हुआ था। अतः इस दिन का विशेष महत्व है।
ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा बताते हैं कि मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार रात 07.50 बजे तक़ त्रयोदशी है। उसके बाद रात्रि 07.50 बजे के बाद चतुर्दशी प्रारम्भ होगी। वैसे 07.26 बजे से पहले शिव का पूजन-अर्चन प्रारम्भ कर लें तो बेहतर होगा। तत्पश्चात गौरीशंकर विवाह उत्सव मनाया जाना चाहिए। शिवरात्रि को जन्म जन्मांतर तक भ्रमित जीव मात्र को शिव आराधना-पूजा से भय एवं शोक से मुक्ति मिलती है।
”जन्तुजन्म सहस्रेषु भ्रमन्ते नात्र संशय:”
बाबा को पुष्प, बिल्वपत्र, भाँग, धतूरा एवं दूध से जरूर स्नान करवायें। संभव हो तो इस दिन रुद्राभिषेक भी करवायें। इसका फल अन्य दिनों की अपेक्षा काफ़ी ज्यादा फलदायी होता है।