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Kisan Drone Subsidy: ड्रोन खरीदने के लिए किसानों को 5 लाख रुपये की मदद देगी मोदी सरकार

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कृषि क्षेत्र में ड्रोन के जरिए सरकार बड़े बदलाव की तैयारी में जुट गई है. सरकार को उम्मीद है कि इससे किसानों को सुविधा मिलेगी. खेती की लागत घटेगी और आय बढ़ेगी. यह क्षेत्र एक बड़े बाजार के रूप में भी उभर रहा है. शुरुआती दौर में हर गांव में लगभग एक-एक किसान ड्रोन (Kisan Drone) पहुंचने की उम्मीद है. इस बीच केंद्र ने व्यक्तिगत तौर पर भी ड्रोन खरीद के लिए आर्थिक मदद देने का फैसला किया है. जिसके तहत अनुसूचित जाति, जनजाति, लघु और सीमांत किसानों, महिलाओं एवं पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों के लिए ड्रोन खरीदने के लिए लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद (Financial Assistance) दी जाएगी. जबकि अन्य किसानों को 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपये की सहायता मिलेगी.

फार्म मशीनरी ट्रेनिंग और परीक्षण संस्थानों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों व राज्य कृषि विश्वविद्यालयों को ड्रोन की खरीद के लिए लागत के 100 फीसदी की दर से सहायता प्रदान की जाएगी. किसान उत्पादक संगठन (FPO) को खेतों पर प्रदर्शन के लिए कृषि ड्रोन लागत का 75 फीसदी तक अनुदान दिया जाएगा. सोमवार को दिल्ली में ‘किसान ड्रोन को बढ़ावा: मुद्दे, चुनौतियां और आगे का रास्ता’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बात की जानकारी दी.

कृषि क्षेत्र में क्या काम करेगा ड्रोन

फसल मूल्यांकन, लैंड रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों व पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए ‘किसान ड्रोन’ के उपयोग को सरकार बढ़ावा दे रही है, जिसका बजट में भी प्रावधान किया गया है. देश के कृषि क्षेत्र (Agriculture Sector) का आधुनिकीकरण प्रधानमंत्री मोदी के एजेंडे में है. ताकि किसानों को नई तकनीक का फायदा पहुंचे. तोमर ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी को किसानों के लिए किफायती बनाने की कोशिश जारी है.

ड्रोन का बागवानी फसलों पर होने वाले स्प्रे में बहुत अच्छा इस्तेमाल हो सकता है. खेती-किसानी में ड्रोन को प्रमोट करने के लिए इसकी खरीद में विभिन्न वर्गों को छूट प्रदान की गई है. किसानों के व्यापक हित को देखते हुए कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग की पहल की गई है.

ड्रोन खरीद की खास बात

ड्रोन से कृषि सर्विस देने वाले किसान सहकारी समिति व ग्रामीण उद्यमियों को कस्टम हायरिंग केंद्रों (सीएचसी) द्वारा ड्रोन खरीद के लिए 40 फीसदी की दर से या 4 लाख रुपये तक, जो भी कम हो, सब्सिडी दी जाएगी.
सीएचसी स्थापना करने वाले कृषि स्नातक ड्रोन लागत के 50 फीसदी की दर से अधिकतम 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद के पात्र होंगे. ड्रोन प्रदर्शन के लिए पहले से चिन्हित संस्थानों के अलावा, कृषि गतिविधियों में लगे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी पात्रता सूची में लाया गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय देशभर में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई स्कीमों के माध्यम से राज्य सरकारों को सहायता-सुविधा प्रदान कर रहा है. विभिन्न कृषि कार्यों से जुड़े मानव श्रम को कम करने के अलावा उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने, बीजों, उर्वरकों व सिंचाई जल जैसे इनपुट की उपयोग दक्षता में सुधार के लिए किसानों को आधुनिक टेक्नोलॉजी तक पहुंच में मदद कर रहा है.

ड्रोन से काबू हुए थे टिड्डी दल

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि यह नई तकनीक अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जिससे उन्हें सुविधा होगी व लागत में कमी आएगी एवं उनकी आय बढ़ेगी. टिड्डी दलों के हमले के दौरान बचाव के लिए भी सरकार ने तत्परतापूर्वक ड्रोन व हेलीकाप्टर का उपयोग किया था. कृषि सचिव मनोज अहूजा ने कहा कि ड्रोन को किसानों के पास ले जाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां है और सरकार भी इस संबंध में प्रतिबद्ध है.

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