Iran-Taliban tensions:अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी (Taliban) सत्ता आने के बाद देश की हालत बद से बदतर हो गई है. अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का शिकार हो गया है. देश में खाने तक के लाले पड़ गए हैं. गुजर बसर करने में लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ा है. अमेरिकी फौज की वापसी के बाद से देश की स्थिति और खराब हो गई. काम और पैसे की तलाश में अफगानिस्तान के लोग ईरान की ओर रुख करने लगे. ईरान से लगती करीब 960 किलोमीटर (572-mile) की सीमा पर रहने वाले अफगानियों के लिए ईरान जीवनरेखा बन गया. हर दिन करीब 5000 अफगानी यहां से गुजरते हैं. आलम यह है कि बीते कुछ हफ्तों से यहां तनाव बढ़ने लगा है.
पिछले हफ्ते तालिबान और ईरानी सीमा प्रहरियों के बीच झड़पें हुईं. तीन शहरों में अफगानियों ने ईरान के खिलाफ रैलियां निकालीं. प्रदर्शनकारियों ने ईरानी वाणिज्य दूतावास के बाहर पथराव किया और आगजनी की. ईरान के सबसे पवित्र तीर्थस्थल पर कथित तौर पर एक अफगान प्रवासी द्वारा चाकू मारने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. यूनाइटेड स्टेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में अफगानिस्तान विशेषज्ञ अंड्रयू वाटकिंस कहते हैं, ‘आपके सामने दुनिया की सबसे खराब शरणार्थी समस्या है जो रोजमर्रा की शांति और ऐतिहासिक कटुता के बीच धीरे-धीरे सुलग रही. कभी ना कभी ज्वालामुखी फटेगा’.
‘सुरक्षित रहना है तो हममें से किसी एक से शादी कर लो’
तालिबानियों ने अभी भी अफगानियों पर जुल्म करना छोड़ा नहीं है. तालिबान के सदस्यों ने जाहरा हुसैनी के सामाजिक कार्यकर्ता पति की हत्या करने के बाद कहा कि सुरक्षित रहना है तो हममें से किसी एक से शादी कर लो. 31 साल की हुसैनी ने भागने का फैसला किया. वो और उनके दो छोटे छोटे बच्चे पैदल, मोटरसाइकिल और ट्रकों के सहारे भागते-भागते आखिरकार ईरान पहुंचने के बाद ही रुके. इसी तरह बहुत से लोगों पर दुर्व्यवहार और शोषण की तलवार लटक रही है. बता दें कि हुसैनी एक दर्जी की दुकान में काम करती हैं लेकिन मालिक ने उन्हें तनख्वाह देने से मना कर दिया. इसी तरह उनके मकान मालिक ने उन्हें घर से निकाल दिया. वह बड़ी मुश्किल से इतना पैसा जुटा पाती हैं कि अपने बच्चों को खिला सकें. दक्षिणी तेहरान में एक छोटे से कमरे में गुजारा कर रहीं हुसैनी का कहना है, ‘हमारे पास कुछ नहीं है ना ही कोई जगह जहां हम जा सकें.’
हकीमी की 9 साल की बेटी को तस्करों ने बनाया बंधक
वहीं, एक कहानी 35 साल के रोशनगोल हकीमी की है. अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता की वापसी के बाद वह भाग कर ईरान चली गई थीं. उनकी 9 साल की बेटी को तस्करों ने बंधक बना लिया. हफ्ते भर बाद फिरौती देने पर उन्हें छोड़ा गया. हकीमी ने कहा, ‘वो हमें गंदा पानी और सख्त बासी रोटी देते थे. हम मर रहे थे.’ हकीमी ने कहा कि जो नसीब वाले थे वो तेहरान की भीड़-भाड़ वाली गलियों में पड़े हैं.
ईरान ने अफगान प्रवासियों को वापस भेजना किया तेज
उधर, संयुक्त राष्ट्र प्रवासी एजेंसी का कहना है कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद ईरान ने अफगान प्रवासियों को वापस भेजना तेज कर दिया है क्योंकि ईरान खुद प्रतिबंधों से जूझ रहा है. एजेंसी का कहना है कि देश के पास शरणार्थियों को संभालने की ताकत नहीं है. इस साल के पहले तीन महीने में हर महीने पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा लोगों को वापस भेजा गया. अफगानिस्तान में एजेंसी के मिशन की अप प्रमुख एशले कार्ल ने यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि इस साल जिन 251,000 लोगों को वापस भेजा गया है उनमें से कइयों ने कई जख्म झेले हैं. किसी का सामना कार हादसों से हुआ तो किसी ने गोलियां खाईं.