भारत में तीन मई तक कोरोना (Covid Death in India) की वजह से 5,22,676 लोगों की मौत हुई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में महामारी की वजह से इतने लोगों की मौत हुई है? कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि असल कोविड मृत्यु संख्या (India Covid Death) अधिक हो सकती है. इसके पीछे की वजह ये है कि कुछ मौतों को कोविड मौतों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है. हालांकि, देश में महामारी से निपटने में जुटे लोगों का मानना है कि रिपोर्ट किए गए मृतकों के आंकड़ें बिल्कुल सही हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस हफ्ते अपने कोविड से अधिक मृत्यु दर के आंकड़े जारी करने की उम्मीद है.
तीन मई को गृह मंत्रालय ने 2020 के लिए आधिकारिक जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन संख्या को प्रकाशित किया. वहीं, नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) की वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि रजिस्टर्ड मौतों में 2019 के लेवल से तुलना करने पर मालूम होता है कि उसमें 6.2 फीसदी (4,74,806) का इजाफा हुआ है. ये 2018 और 2019 (6,90,469 या 9.9 फीसदी) और 2017 और 2018 (4,86,828 या 7.5 फीसदी) के बीच रजिस्टर्ड मौतों में हुए इजाफे से कम है. इसे लेकर नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि CRS आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के आधिकारिक कोविड मौत की संख्या को बढ़ाचढ़ाकर बताया गलत है.
क्यों मायने रखता है CRS डाटा?
नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) पूरे भारत में स्थानीय विभाग में रजिस्टर्ड सभी जन्मों और मौतों के आंकड़ों का मिलान करता है. ये एक साल समाप्त होने के लगभग 18 महीने बाद अपनी रिपोर्ट जारी करता है. 2020 की रिपोर्ट निर्धारित समय से कम से कम एक महीने पहले मंगलवार को जारी की गई. इस तरह का डाटा महामारी के दौरान महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि संभावित कोविड-19 मौतों को आधिकारिक रिकॉर्ड में इस तरह वर्गीकृत नहीं किया गया होगा. CRS हमें ‘अतिरिक्त मौतों’ वाले अप्रोच के जरिए एक अनुमान तक पहुंचने में मदद कर सकता है. इससे हमें ये पता चल सकता है कि महामारी के साल में कितनी मौतें दर्ज हुईं और सामान्य सालों में कितनी मौतें दर्ज की गईं. इन मौतों की तुलना भी की जा सकती है. इससे हमें ये मालूम चल सकता है कि आखिर महामारी वाले साल में कितने लोगों ने जान गंवाई है.
2020 का CRS डाटा क्या दिखाता है?
2020 के लिए जारी हुई CRS रिपोर्ट से पता चलता है कि 80 लाख से अधिक भारतीयों की मौत हुई, जो 2019 की तुलना में 6.2 फीसदी अधिक है. आमतौर पर मृतकों की संख्या में हुए असामान्य इजाफे को महामारी से जोड़ा जाता है. हालांकि, भारत में सभी मौतों को रजिस्टर्ड नहीं किया गया. इस प्रकार, मौतों में इजाफा केवल इसलिए हो सकता है क्योंकि अधिक परिवारों द्वारा मृत्यु की जानकारी दर्ज करवाई जा रही है. 2019 में सभी मौतों का 92 फीसदी रजिस्टर्ड करवाया गया, 2018 की तुलना में इसमें इजाफा हुआ, क्योंकि उस साल 84.6 फीसदी मौतें दर्ज करवाई गईं. अगर हमें 2020 के लिए रजिस्ट्रेशन लेवल पता होता, तो हम उस संख्या का इस्तेमाल अतिरिक्त मौतों का अनुमान लगाने के लिए कर सकते थे. हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक रजिस्ट्रेशन लेवल जारी नहीं किया है. 2021 के लिए CRS को अगले साल तक रिलीज किया जाएगा.