भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के ठीक बाद प्राइवेट सेक्टर के नामी बैंक ICICI ने भी अपने ग्राहकों को झटका दे दिया है. ICICI बैंक ने अपने बेंचमार्क लोन रेट्स में बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. ICICI बैंक की वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक बैंक ने 4 मई से नई दरें लागू कर दी हैं. बैंक ने कहा कि ICICI का मौजूदा EBLR (External Benchmark Lending Rate) 8.10 प्रतिशत कर दिया गया है. इसका सीधा मतलब ये हुआ कि ICICI बैंक के ग्राहकों को अब पहले मुकाबले महंगा लोन मिलेगा, जिसे चुकाने के लिए अब पहले के मुकाबले ज्यादा EMI भरनी होगी.
क्या होता है External Benchmark Lending Rate
EBLR यानी एक्सटर्नल बेंचमार्च लेंडिंग रेट्स, वो ब्याज दरें होती हैं जिसे कोई भी बैंक रिजर्व बैंक के रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्च के आधार पर तय करते हैं. EBLR एक न्यूनतम ब्याज दर होती है, जिस पर कोई भी बैंक अपने ग्राहक को कर्ज देता है. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2019 में एक्सटर्नल बेंचमार्च लेंडिंग रेट्स का नियम बनाया था. बताते चलें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का EBLR 6.65 प्रतिशत है, जबकि रेपो-लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) 6.25 फीसदी है.
रेपो रेट क्या होता है, इससे आम आदमी को क्या फर्क पड़ता है
जिस तरह एक आम आदमी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लेते हैं, ठीक उसी तरह बैंक भी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है, उस ब्याज दर को ही रेपो रेट कहा जाता है. लिहाजा, अगर रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाकर छोटे बैंकों को महंगा कर्ज देगा तो बैंक भी ब्याज दरें बढ़ाकर अपने ग्राहकों को महंगा लोन देती हैं. बता दें कि लोन महंगा होने से सीधे-सीधे ईएमआई पर असर पड़ता है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में किया 0.40 फीसदी का इजाफा
अगर कोई भी लोन महंगा करती है तो हर महीने जाने वाली ईएमआई बढ़ जाती है. ईएमआई बढ़ती है तो इससे हर महीने होने वाला खर्च भी बढ़ जाता है. लिहाजा, रिजर्व बैंक द्वारा रेपो बढ़ाने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में 0.40 फीसदी को बढ़ोतरी करते हुए इसे 4.0 से 4.4 प्रतिशत करने का ऐलान किया था.