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Hanuman Chalisa: हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का क्या है महत्व, जानें इससे जुड़े सरल और प्रभावी उपाय

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सनातन परंपरा में श्री हनुमान जी (Hnauman) को शक्ति का पुंज माना जाता है. अतुलित गुणों के धाम कहलाने वाले श्री हनुमान जी के बारे में मान्यता है कि वे चिंरजीवी हैं और हर युग में मौजूद रहते हैं. मान्यता कि जो कोई भी व्यक्ति भक्ति-भाव से उनका सुमिरन या फिर उनकी चालीसा का पाठ करता है, उसे बचाने के लिए श्री हनुमान जी दौड़े चले आते हैं. कलयुग (Kalyug) में हनुमत उपासना सबसे ज्यादा फलदायी मानी है. ऐसे बल-बुद्धि और विद्या के दाता श्री हनुमान जी की चालीसा (Hanuman Chalisa)को कब और किसने लिखा, इसको पढ़ने का क्या नियम और लाभ है, आइए इसे विस्तार से जानते हैं.

किसने लिखी थी हनुमान चालीसा

जीवन से जुड़े सभी प्रकार के संकट, भय, भूत, प्रेत, बाधा आदि को पलक झपकते दूर करने और मन में साहस, शक्ति का संचार करने वाली श्री हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी श्री तुलसीदास जी ने की थी. मान्यता है कि एक बार अकबर ने तुलसीदास जी को फतेहपुर सीकरी के कारागार में कैद कर दिया था, जिसके बाद चमत्कारिक रूप से वहां पर बड़ी संख्या में बंदर आ गए और वहां पर नुकसान पहुंचाने लगे. इसके बाद अकबर ने अपने मंत्री की सलाह पर उन्हें रिहा कर दिया था. मान्यता है कि कारागार में 40 दिनों तक गुजारने के बाद जब तुलसीदास जी बाहर निकले तो उन्होंने हनुमान जी की प्रेरणा से उनका गुणगान करने वाली चालीसा को अवधी भाषा में लिखा.

पहली बार किसने कही और किसने सुनी हनुमान चालीसा

मान्यता है कि एक बार गोस्वामी तुलसीदास जी श्रीरामचरित मानस का पाठ कर रहे थे, जिसके खत्म होने के बाद सभी लोग चले गए, लेकिन वहां पर एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठा रहा. जिसे देखते ही तुलसीदास जी समझ गए कि यह स्वयं श्री हनुमान जी हैं जो श्रीराम कथा का आनंद ले रहे थे. उसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी ने उनके समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ किया.

हनुमान चालीसा पढ़ने का नियम

पवनसुत हनुमान की कृपा बरसाने वाली हनुमान चालीसा के बारे में मान्यता है कि इसका कोई भी व्यक्ति कभी भी पाठ कर सकता है, लेकिन यदि इसका पाठ मंगलवार, हनुमान जयंती या फिर शनिवार के दिन किया जाए तो बजरंगी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा तन और मन से पवित्र होकर करना चाहिए और इसका पाठ करते समय कभी भी दूसरों के लिए द्वेष, क्रोध या फिर कामुक विचार नहीं लाना चाहिए. हनुमान चालीसा के पाठ करने वाले व्यक्ति को तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए.

हनुमान चालीसा के चमत्कारी उपाय

श्री हनुमान चालीसा का पाठ हमेशा स्नान-ध्यान करने के बाद श्री हनुमान जी की मूर्ति के सामने लाल रंग के आसन पर बैठकर करना चाहिए. हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले श्री हनुमान जी को लाल रंग के पुष्प और गुड़ और चना चढ़ाना न भूले.
मान्यता है कि हनुमान जी ने अपनी शक्तियों का सबसे ज्यादा प्रदर्शन दक्षिण दिशा में किया था, ऐसे में दक्षिणमुखी हनुमान की मूर्ति या चित्र के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का सात बार पाठ करने पर साधक का बड़ा से बड़ा संकट दूर होता है.
श्री हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई हनुमान जी के महामंत्र के समान है. ऐसे में यदि आप अपनी मनोकामना के अनुसार उनकी चौपाई को रुद्राक्ष की माला के माध्यम से जाप कर सकते हैं. जैसे यदि आप रोग-शोक से मुक्ति पाना चाहते हैं तो आप ”नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा” चौपाई का श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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