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Gujarat Election 2022: 1962 से इस सीट का तिलस्म नहीं तोड़ पाया कोई दल, किसी को भी नहीं मिली दूसरी जीत

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गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election2022) की तारीखें भले ही घोषित ना हुई है. लेकिन राजनीतिक दलों के द्वारा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई है.चुनाव इस साल के दिसंबर महीने में होने हैं. वहीं, गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस दो प्रमुख दल हैं जो प्रदेश की सत्ता पर काबिज रहे हैं. वहीं, इस बार आम आदमी पार्टी के रूप में तीसरा दल भी सक्रिय हो चुका है. वैसे तो गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से हर सीट का अपना अलग महत्व है लेकिन गुजरात की एक ऐसी विधानसभा सीट भी है जिस पर किसी भी दल का प्रत्याशी जीतने के बाद दोबारा वह यहां से चुनाव नहीं जीता है. 1962 से लेकर आज तक डभोई विधानसभा सीट का कुछ ऐसा ही इतिहास रहा है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है जिसके कारण कांग्रेस की मजबूत पकड़ मानी जाती है.फिलहाल यह सीट बीजेपी के कब्जे में है.

गुजरात राज्य में 182 विधानसभा सीटें हैं. वहीं, हर सीट का इतिहास दूसरी सीटों से अलग माना जाता है. मगर कुछ ऐसी सीटें भी हैं जिनका चुनावी इतिहास बिल्कुल अलग रहा है. डभोई विधानसभा सीट भी गुजरात की एक अनोखी सीट मानी जाती है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव सबसे ज्यादा है. वहीं, इस सीट के बारे में कहा जाता है कि यहां कोई भी पार्टी का प्रत्याशी केवल एक बार ही चुनाव जीतता है. दो दोबारा चुनाव नहीं जीत पाता है. यह परंपरा 1962 से लगातार चली आ रही है. इस सीट पर कांग्रेसं लंबे समय तक जीत दर्ज करती रही है. वहीं, 2012 और 2017 में बीजेपी ने यहां पर जीत दर्ज की. 2012 चुनाव में बीजेपी के बालकृष्ण भाई पटेल ने जीत दर्ज की. जबकि 2017 में बीजेपी के शैलेश भाई मेहता ने यहां से जीत दर्ज की.बीजेपी ने भी पुरानी परंपरा को तोड़ने की कोशिश नहीं की. इसी वजह से 2017 में यहां नया प्रत्याशी उतारा.

जानिए डभोई सीट का सामाजिक ताना-बाना

गुजरात की डभोई सीट का सामाजिक ताना-बाना हर सीट से अलग है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. वहीं, यहां पर लंबे समय तक कांग्रेश की पकड़ मजबूत रही है. कांग्रेसी नेता सिद्धार्थ पटेल इस सीट से 2 बार चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं. वह पहली बार 1998 और दूसरी बार 2007 में जीत दर्ज की. वह पूर्व मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल के बेटे भी है. हालांकि, इस विधानसभा सीट का ताना-बाना दूसरी सीटों से बिल्कुल अलग है. यहां पर पाटीदार मतदाताओं की संख्या करीब 45854 मानी जाती है. जबकि मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 22321 है. इस सीट पर सबसे ज्यादा दलित समुदाय के 47000 मतदाता हैं. जबकि ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी 44,000 है. इसी वजह से सामाजिक समीकरण बिल्कुल अलग है. मुस्लिम मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

मुस्लिम बहुल सीटों में शामिल है डभोई विधानसभा

गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 36 सीटें ऐसी है. जोकि मुस्लिम मतदाताओं से प्रभावित मानी जाती हैं. वहीं, उन्हीं में से दब हुई सीट भी शामिल है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 22 हजार से ज्यादा है. जिसके कारण मुस्लिम मतदाता इस सीट पर चुनाव के परिणाम को काफी हद तक प्रभावित भी करते हैं.पहले के चुनावों में इसका फायदा कांग्रेस को खूब मिला है. लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी ने इस सीट की सामाजिक समीकरण में अपनी सेंधमारी की है और दो चुनावों से जीत दर्ज कर रही है.

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