हिंदू (Hindu) धर्म में गंगा एक नदी नहीं बल्कि एक देवी और मां हैं, जिससे व्यक्ति का जुड़ाव जीवन की शुरुआत से लेकर अंत तक बना रहता है. तन–मन और जीवन को पवित्र करके सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाली मां गंगा (Ganga) से जुड़ा है गंगा सप्तमी का पावन पर्व, जो कि प्रत्येक साल वैशाख शुक्ल सप्तमी को मनाया जाता है. इस साल गंगा सप्तमी का पावन पर्व 08 मई 2022, रविवार को पड़ने जा रहा है.पंचांग के अनुसार 07 मई 2022 को पूर्वाह्न 02:56 से प्रारंभ होकर 08 मई, 2022 को सायंकाल 05:00 बजे समाप्त होगी.आइए गंगा सप्तमी पर्व का धार्मिक महत्व और मां गंगा की स्वर्ग (Heaven) से लेकर पृथ्वी लोक तक की यात्रा आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
गंगा सप्तमी का पौराणिक महत्व
मान्यता है कि जब मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक को आने के लिए तैयार हुईं तो उस समय प्रश्न यह उठा कि उनके वेग को कौन संभालेगा. तब सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र भागीरथ ने ब्रह्मा जी के सुझाव पर कठिन तपस्या करके भगवान शिव को इस बात के लिए मनाया कि मां गंगा पृथ्वी पर पहुंचने से पहले महादेव की जटाओं से होकर गुजरें ताकि उनका वेग कम हो सके. मान्यता है कि जिस दिन मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में उतरीं, वह पावन तिथि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी. यही कारण है कि इसे गंगा सपतमी कहा जाता है.
गंगा सप्तमी पर गंगा स्नान का महत्व
सनातन परंपरा में मान्यता है कि गंगा स्नान से व्यक्ति के न सिर्फ इस जन्म बल्कि पूर्व जन्म के पाप भी मिट जाते हैं. यही कारण है कि आमजन मोक्ष की कामना लिए न सिर्फ गंगा सप्तमी बल्कि कुंभ समेत तमाम तीज–त्योहार पर गंगा में डुबकी लगाने के लिए दूर–दूर से पहुंचते हैं. ‘गंगे तव दर्शनात् मुक्तिः‘ यानि मां गंगा के पावन जल में सिर्फ डुबकी लगाने से ही नहीं बल्कि उनका दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को इस जन्म–मरण के चक्र और जीवन से जुड़े तमाम तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.
गंगा सप्तमी पर गंगा पूजन का फल
सनातन परंपरा में गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान, उनका ध्यान और पूजन करने को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है. मान्यता है कि इस पावन तिथि पर विधि–विधान से पूजा, जप–तप करने पर मां गंगा शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपने भक्त पर अपनी कृपा बरसती हैं. गंगा सप्तमी के दिन नदी तीर्थ पर जाकर दान करने का भी बहुत महत्व है.
जब न पहुंच पाएं गंगा तट
यदि आप किसी कारणवश गंगा सप्तमी के पावन पर्व पर मां गंगा के पावन तट पर न पहुंच पाएं तो निराश न हों और अपने घर में स्नान करने वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर मां गंगा के इस मंत्र ”ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः” को बोलते हुए स्नान करें. मान्यता है कि मां गंगा मनुष्य की भावना के अनुसार भोग और मोक्ष प्रदान करती रहती हैं. ऐसे में अपने घर में गंगा स्नान के बाद मां गंगा की तस्वीर की पूजा नीचे दिए हुए मंत्र को पढ़ते हुए करें –
नमामि गंगे तव पादपंकजं सुर्वन्दित दिव्यरूपम्।
मुक्तिं च मुक्ति च ददासि नित्यं भावानुसारेण सदा नराणाम् ।।
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)