अगर आपसे कहा जाए कि अपनी उम्र (Age) बताइए तो आप जन्मतिथि के बाद आने वाले सालों को जोड़कर अपनी उम्र बताएंगे. अगर यही सवाल दक्षिण कोरिया (South Korea) के लोगों से पूछा जाएगा तो उनका कैल्कुलेशन कुछ अलग होगा. यहां उम्र को लेकर ऐसे नियम लागू हैं कि बच्चा पैदा होते ही एक साल का हो जाता है. इस नियम के कारण दस्तावेजों में यहां के लोगों की उम्र कम होती है. उम्र तय करने के पुराने नियम को यहां के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति यून सुक योल (Yoon Suk-yeol) बदलेंगे. इसके लिए वो नागरिक संहिता में संशोधन करेंगे. वर्तमान में दक्षिण कोरिया में उम्र को तय करने के तीन तरीके प्रचलित हैं, इन्हें बदलकर एक तरीका लागू करने की कोशिश जारी है.
दक्षिण कोरिया में किन तीन तरीकों से उम्र तय की जाती है, यहां के तरीकों को क्यों बदलने की कोशिश की जा रही है और कैसा होगा नया सिस्टम? जानिए, इन सवालों के जवाब
इन 3 तरीकों से तय की जाती है यहां उम्र
पहला तरीका: यहां पैदा होने वाले बच्चे को जन्म लेते ही एक साल का मान लिया जाता है. कोरिया में उम्र तय करने का यही तरीका सबसे ज्यादा प्रचलित है. इसे ‘कोरियन एज’ के नाम से जाना जाता है. इसे एक उदाहरण से समझा जा सकता है. जैसे- यहां कोई बच्चा 31 दिसम्बर को पैदा होता है तो उसे एक साल का मान लिया जाता है और एक जनवरी को वह दो साल का हो जाता है. इस तरह यहां बच्चा पैदा होते ही एक साल का हो जाता है.
दूसरा तरीका: उम्र तय करने का दूसरा तरीका अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. यही दुनियाभर में प्रचलित है, जिसमें जन्म के समय उम्र को शून्य मान लिया जाता है और हर जन्मतिथि पर एक साल जोड़ दिया जाता है.
तीसरा तरीका: उम्र तय करने का यह तरीका सबसे कम प्रचलित है. इसके तहत जन्म के समय बच्चे की उम्र शून्य मानी जाती है, लेकिर हर एक जनवरी को उसकी उम्र में एक नया साल जुड़ जाता है. यानी नया साल उसकी उम्र तय करता है.
कहां से आया ‘कोरियन एज’ का नियम?
कोरिया में उम्र को तय करने की शुरुआत पहली बार कब हुई, इतिहासकारों के पास इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं है. उनका मानना है कि मां की कोख में आते ही बच्चे की उम्र की शुरू हो जाती है. इसलिए बच्चा पैदा होते ही एक साल का हो जाता है. वहीं, कुछ का मानना है कि यह तरीका एशिया में काफी प्रचलित था.
ऐसे ही एक तरीके का इस्तेमाल चीन, जापान और वियतनाम में भी होता था, लेकिन धीरे-धीरे इन देशों में उम्र तय करने के लिए इंटरनेशनल सिस्टम को अपना लिया. वहीं, नॉर्थ कोरिया ने 1985 में ही इंटरनेशनल सिस्टम को अपनाया था.
कैसा होगा उम्र तय करने का तरीका?
दक्षिण कोरिया में उम्र को तय करने का अंतरराष्ट्रीय तरीका लागू किया जाएगा. यानी हर साल मनाए जाने वाले जन्मदिन के मुताबिक उम्र बढ़ेगी. हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब यहां पर उम्र को तय करने के लिए अंतरराष्ट्रीय तरीका लागू करने की कोशिश की जा रही है. इससे पहले 2019 और 2021 में यहां की नेशनल असेंबली में बिल पेश किया जा चुका है, लेकिन यह पास नहीं हो सका.
इस बार यह काम यहां ही पीपुल पार्टी करेगी. खास बात है कि इसके लिए कोई नया बिल नहीं लाया जाएगा. पहले से बने कानून में संशोधन किया जाएगा.
नियम को बदलने की नौबत क्यों आई?
यहां उम्र को लेकर हमेशा से ही कंफ्यूजन की स्थिति बनी रही है क्योंकि तीन तरह से उम्र तय की जाती है.नया सिस्टम लाने की जरूरत क्यों महसूस हुई, इसे महामारी के हालिया उदाहरण से समझा जा सकता है. महामारी के बीच जब वैक्सीन लगाने की बारी आई तो कंफ्यूजन हुआ कि कौन इसके लिए पात्र हैं और कौन नहीं, क्योंकि अलग-अलग तरह से उम्र का निर्धारण किया गया है. इससे पहले उम्र को लेकर वेतन का विवाद भी पैदा हो चुका है, जो सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.