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DNA सैंपल से छेड़छाड़ का मामला: HC ने छिंदवाड़ा सिविल सर्जन, जबलपुर SP-ADGP की भूमिका संदिग्ध, दोषी अफसरों पर कार्रवाई के दिए आदेश

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) ने पुलिस कॉन्स्टेबल द्वारा दुष्कर्म के एक मामले में डीएनए सैंपल से की गई छेड़छाड़ पर गंभीरता जताई है. हाई कोर्ट ने आरोपी पुलिस आरक्षक की याचिका खारिज करते हुए सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में जांचकर्ता अधिकारी और याचिकाकर्ता आरोपी पुलिस आरक्षक को दूरस्थ जिले पर तबादला करने के निर्देश दिए हैं. ताकि वह साक्ष्य और गवाहों को प्रभावित न कर सकें, इसके साथ ही अदालत ने छिंदवाड़ा पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल, जबलपुर जोन आईजी और एडीजीपी उमेश जोगा समेत छिंदवाड़ा सिविल सर्जन की कार्यशैली पर संदेह जताया है.

दरअसल पूरा मामला अनुसूचित जनजाति अधिनियम और दुष्कर्म केस से जुड़ा हुआ है. जिसमें एक महिला द्वारा पुलिस आरक्षक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया था. जिसके बाद छिंदवाड़ा जिले में पुलिस आरक्षक अजय साहू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. शिकायत के मुताबिक, पीड़िता का 8 हफ्तों का गर्भपात भी आरोपी द्वारा जिला अस्पताल में करवाया गया था. लेकिन फॉरेंसिंग एविडेंस को तोड़ मरोड़ कर दिया गया, जिस वजह से पीड़िता के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है.

नवंबर 2021 को कॉन्स्टेबल को किया गया गिरफ्तार

आरक्षक अजय साहू जबलपुर का रहने वाला है. वर्तमान में छिंदवाड़ा में कॉन्स्टेबल के रूप में पदस्थ है. उसके खिलाफ अजाक थाने में दुष्कर्म व एससी-एसटी की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ था. आरोपी को 13 नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया गया था. दुष्कर्म के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी. उसका गर्भपात कराया गया. डीएनए सैंपल ठीक से सुरक्षित नहीं रखा गया. जिसके बाद जबलपुर जोन के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल को हाई कोर्ट में रिपोर्ट सौंपी. हाई कोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शिखर सुराना ने हाई कोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई. हाई कोर्ट ने कहा कि एडीजी ने बिना विचार किए ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए, जबकि उसमें स्टाफ नर्स के बयान दर्ज नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि आरोपी एक पुलिसकर्मी है. इसलिए इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उच्चाधिकारी उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

कोर्ट ने कहा- दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें

20 पन्नों से अधिक के अपने आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से जांचकर्ता अधिकारियों ने मामले में साक्ष्यों के साथ खिलवाड़ किया है, उससे अब सीबीआई को भी जांच सौंपने से तात्कालिक राहत की उम्मीद नहीं है. हाईकोर्ट ने राज्य स्तर पर गठित स्टेट लेवल विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी की कार्यशैली पर भी आपत्ति जताई है. आरोपी पुलिसकर्मी अजय साहू की जमानत याचिका रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री मध्य प्रदेश को निर्देश दिए हैं कि वह तत्काल रूप से दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करें.

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