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CPI(M) नेता का बीजेपी पर निशाना, कहा- यूनीफॉर्म सिविल कोड के जरिए अल्पसंख्यकों को टारगेट करना चाहती है BJP

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असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) द्वारा यूनीफॉर्म सिविल कोड पर दिए एक बयान पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता हन्नान मुल्ला (Hannan Mollah) ने निशाना साधा है. सरमा को फटकार लगाते हुए हन्नान ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) का उद्देश्य यूनीफॉर्म सिविल कोड के जरिए देश के अल्पसंख्यकों (Minorities) को टागरेट करना है. दरअसल, सरमा ने शनिवार को कहा था, ‘हर कोई देश में यूसीसी (Uniform Civil Code) चाहता है. कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका शौहर तीन और बीवियां लेकर आए. किसी भी मुस्लिम महिला से पूछिए. यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है.’

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पश्चिम बंगाल के पूर्व सांसद हन्नान ने सरमा का जिक्र करते हुए कहा, ‘आरएसएस-बीजेपी का आदमी देश का माहौल खराब करने के उद्देश्य से ऐसी घृणित बातें कह रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘उन लोगों की संख्या की तुलना करें जिनकी एक से ज्यादा पत्नियां हैं. कई गैर-मुसलमानों की भी दो से ज्यादा पत्नियां हैं. लेकिन वे केवल मुसलमानों को टारगेट पर ले रहे हैं क्योंकि यह आरएसएस-बीजेपी का ज्वाइंट गेम प्लान है.’

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिंदी में ‘समान नागरिक संहिता’ कहा जाता है. इस कोड में देश के हर नागरिक के लिए एक जैसे कानून का प्रावधान है. इसके तहत चाहे कोई किसी भी धर्म या जाति से संबंध रखता हो, सभी पर एक ही जैसा कानून लागू होगा. इसको दूसरे शब्दों में धर्मनिर्पेक्ष कानून भी कहा जा सकता है.

मुल्ला ने नीतीश कुमार का किया समर्थन

मुल्ला ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस रुख का भी समर्थन किया है, जिन्होंने लाउडस्पीकर विवाद को ‘बकवास’ बताया है और कहा है कि वह धार्मिक मामलों में नहीं पड़ेंगे. हन्नान ने कहा, ‘लाउडस्पीकर एक मशीन है. जब लोग जोर से बोलते हैं, तो 10 लोग सुनते हैं और 50 लोग इस मशीन से सुनते हैं. यह आरएसएस और बीजेपी का काम है कि वो इस मशीन (लाउडस्पीकर) को सांप्रदायिकता रंग दे रहे हैं.’

क्या बोले CM हिमंत बिस्वा सरमा?

असम के सीएम सरमा ने देश में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने की पुरजोर वकालत की है. उन्होंने कहा कि वह जिस मुस्लिम से भी मिले उन सभी को यूसीसी चाहिए था. सरमा ने शनिवार को कहा, ‘कोई मुस्लिम औरत नहीं चाहती कि उसके शौहर की तीन बीवियां हों. मुस्लिम व्यक्ति अगर एक से ज्यादा औरतों से शादी करता है तो यह उसकी नहीं बल्कि मुस्लिम माताओं और बहनों की समस्या है.’ सरमा ने कहा कि अगर मुस्लिम औरतों और माताओं को समाज में इज्जत देनी है तो तीन तलाक (कानून) के बाद यूसीसी लागू करना चाहिए.

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