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Chhattisgarh: कोयले की मालगाड़ियों के लिए 230 किमी लंबा अलग ट्रैक, यात्री ट्रेनों को नहीं होगी कोई समस्या; 2024 तक हो जाएगा तैयार

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देश के कई राज्य बिजली संकट (Power Crisis) से गुजर रहे हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ रोजाना 4.50 लाख टन से अधिक कोयले की आपूर्ति कर रहा है. जबकि सामान्य दिनों में औसत 2.60 लाख टन की ही आपूर्ति होती है. कोयला परिवहन के लिए रेलवे अब तक 26 यात्री ट्रेनों को रद्द कर चुका है. इस बीच एक राहत की खबर सामने आई है. 2018 में शुरू हुआ एक प्रोजेक्ट 2024 तक पूरा हो जाएगा. इसके बाद छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल कोयला परिवहन के लिए नहीं किया जाएगा. साउथ ईस्ट कोलफील्ड राज्य में 230 किमी लंबा रेलवे ट्रैक बिछा रहा है. ये ट्रैक पूरी तरह से कोयला परिवहन के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा. ये प्रोजक्ट 9655 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है. प्रोजेक्ट पूरा होने पर कोयले की मालगाड़ी (Coal Train) की क्रॉसिंग के चलते यात्री गाड़ियों को रोके जाने की समस्या भी खत्म हो जाएगी.

यात्री गाड़ियों को अपना पूरा ट्रैक फ्री मिलेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोयला परिवहन के लिए बन रहे ट्रैक से हर सला 125 मिलियन टन कोयले का परिवहन दूसरे राज्यों में होगा. एसईसीएल के अधिकारियों ने बताया कि इस ट्रैक को इस तरह से डिजाइन किया गया है ताकि छत्तीसगढ़ की माइंस से गाड़िया कोयला लेकर राज्य की सीमा तक पहुंचा दें.

135 किमी लंबा है ट्रैक

वहां से अन्य राज्यों की मैन लाइन से जुड़ जाए. इस ट्रैक के बन जाने से हाबड़ा-मुंबई रूट खाली हो जाएगा. इस रेलवे ट्रैक का इस्तेमाल सालाना 63 मिलियन टन कोयले का परिवहन के लिए होगा. ये ट्रैक 135 किमी लंबा है, जो कोरबा स्थित माइन्स को पेंड्रारेड तक जोड़ेगा. यहां से मालगाड़ियां कटनी से मैनलाइन से जुड़कर आगे बढ़ जाएंगी. कोरबा में एसईसीएल की तीन बड़ी माइन्स गेवरा, कुसमुंडा और दीपका हैं. इन माइन्स से सर्वाधिक कोयला परिवहन होता है. ये 5 हजार करोड़ रुपए का प्रोजक्ट है.

15 दिनों से 24 घंटे चल रहा है काम

एसईसीएल, पीआरओ, सनीष चंद्र ने कहा कि कोयला परिवहन के लिए अलग से रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर काम जारी है, 2024 तक इसे पूरा करना है, फिर यात्री ट्रेनों का इस्तेमाल कोयला परिवहन के लिए नहीं होगा. देश में सबसे ज्यादा कोयला छत्तीसगढ़ के पास है. छत्तीसगढ़ इस कोयला संकट में अपनी क्षमता 2.43 टन कोयले की तुलना में बीते 15 दिनों से रोजाना 4.50 लाख टन से अधिक कोयला निकाल रहा है. माइंस में 24 घंटे काम किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में अभी 31,561 मिलियन टन कोयले का भंडार है.

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