कलकत्ता उच्च न्यायालय ( Calcutta High Court ) ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और वित्त तथा परिवहन विभागों के प्रधान सचिवों के खिलाफ अवमानना आदेश शुक्रवार को जारी करते हुए उनसे यह बताने को कहा गया है कि उन्हें अदालत के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए क्यों न जेल भेजा जाए या उन पर जुर्माना लगाया जाए. उच्च न्यायालय ने 13 सितंबर 2021 को दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम (SBSTC) में एक पेंशन योजना के लिए 60 सेवानिवृत्त कर्मचारियों की याचिका के संबंध में एक आदेश पारित किया था. कोर्ट ने मुख्य सचिव (Chief Secretary) 20 मई को हाजिर होने का आदेश दिया.
याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर अवमानना अर्जी पर न्यायमूर्ति अरिंदम मुखर्जी ने शुक्रवार को मुख्य सचिव एच. के. द्विवेदी, वित्त सचिव मनोज पंत और परिवहन सचिव राजेश सिन्हा को यह कारण बताने के लिए कहा है कि उन्हें 13 सितंबर 2021 के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए क्यों नहीं जेल भेजा जाए या क्यों नहीं उन पर जुर्माना लगाया जाए.
20 मई को कोर्ट ने हाजिर होने का दिया आदेश
दक्षिण बंगाल परिवहन निगम के एक मामले में राज्य के मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी, वित्त सचिव मनोज पंथ और परिवहन विभाग के प्रधान सचिव राजेश सिन्हा पर अदालत की अवमानना का आरोप लगाया है. अदालत के आदेश का पालन क्यों नहीं किया, यह बताने के लिए उन्हें 20 मई को कोर्ट में हाजिर होना होगा. परिवहन निगम के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी सनत कुमार घोष ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक मामला दायर कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना शुरू करने की मांग की थी. पिछले साल सितंबर में, न्यायाधीश अरिंदम मुखर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के प्रधान सचिव और वित्त सचिव को इस पर चर्चा करने और यह तय करने का निर्देश दिया कि योजना के साथ क्या किया जा सकता है.
21 अप्रैल को भी कोर्ट ने जारी किया था अवमानना का रूल
हाई कोर्ट ने पिछले 21 अप्रैल को भी एक अन्य मामले में मुख्य सचिव और वित्त सचिव के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का रूल जारी किया था. 2018 में मुकुंदपुर नोबेल मिशन स्कूल को सरकारी मान्यता देने का निर्देश दिया था, लेकिन आरोप था कि चार साल में भी उक्त निर्देश का पालन नहीं किया गया. इसके बाद जस्टिस शेखर बी साराफ की सिंगल बेंच ने जवाब मांगा है कि चार साल बाद भी कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ? हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 17 मई को होगी. अवमानना आदेश शुक्रवार को जारी करते हुए उनसे यह बताने को कहा गया है कि उन्हें अदालत के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए क्यों न जेल भेजा जाए या उन पर जुर्माना लगाया जाए.