सनातन परंपरा में वैशाख मास के शुक्लपक्ष की तृतीया यनि अखा तीज या अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) को अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है. इस पावन तिथि पर दीपावली के समान धन की देवी की साधना-आराधना की जाती है. जिस तिथि पर की जाने वाली पूजा-पाठ, जप तप आदि का कभी क्षय नहीं होता है, उसमें धन की देवी मां लक्ष्मी (Goddess Laxmi) के साथ भगवान विष्णु की साधना का बहुत ज्यादा महत्व है. आइए अक्षय फल दिलाने वाली अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा में प्रयोग किए जाने वाली हल्दी और केसर (Kesar) से जुड़े अचूक उपाय जानते हैं, जिन्हें करते ही श्री संग हरि की भी पूरी कृपा बरसती है.
अक्षय तृतीया पर करें केसर का महाउपाय
अक्षय फल प्रदान करने वाली अक्षय तृतीया पर प्रत्येक साधक सुख-समृद्धि और सौभाग्य की कामना लिए हुए धन की देवी की पूजा करता है, ताकि उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हों. यदि आप भी चाहते हैं कि आपके घर में हमेशा मां लक्ष्मी का वास बना रहे और श्री हरि की कृपा बरसती रहे तो आप अक्षय तृतीया के दिन अपनी किस्मत बदलने वाला केसर का महाउपाय करना न भूलें. सुख-संपत्ति के साथ सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अक्षय तृतीया के दिन एक चांदी की कटोरी में केसर रखें और उसमें कुछ बूंदे गंगाजल की डालकर उससे मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तिलक करें. इसके बाद उस तिलक को प्रसाद के रूप में अपने माथे पर लगाएं. इसके बाद जब कभी भी किसी विशेष कार्य के लिए निकलें तो केसर के इस तिलक को लगाना न भूलें. मान्यता है कि केसर के इस उपाय को करने पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
हल्दी से दूर होंगे दु:ख, पूरी होगी हर मनोकामना
देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग में लाई जाने वाली हल्दी को अत्यंत ही शुभ और मंगलकारी माना गया है. ऐसे में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए अक्षय तृतीया पर इससे जुड़े सरल उपाय करना बिल्कुल न भूलें. सुख-सौभाग्य और समृद्धि की कामना को पूरा करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन पूरे घर में हल्दी के पानी का छिड़काव करें. श्री हरि की कृपा दिलाने वाले इस उपाय से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहेगा. इसके साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते समय खड़ी हल्दी अवश्य चढ़ाएं. यदि संभव हो तो भगवान विष्णु को हल्दी की माला पहनाएं, हल्दी की माला से उनके मंत्र का जप करें और हल्दी का तिलक लगाएं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)