शारदीय नवरात्रों में भक्त करेंगे मां ललिता की उपासना
विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नैमिषारण्य तीर्थों की नगरी है यहाँ स्थित आदिशक्ति ललिता देवी का अति प्राचीन मंदिर है। देवी भागवत पुराण के अनुसार जब राजा जन्मेजय ने व्यास जी से देवी के जाग्रत स्थानों के बारे में पूछा तो उन्होंने जिन 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया था, उनमे नैमिष तीर्थ स्थित मां ललिता देवी का दरबार भी है, देवी भागवत में इस शक्ति को लिंगधारिणी कहा गया है ।
नैमिष महात्म्य के अनुसार जब भगवान ब्रम्हा द्वारा भेजा गया ब्रह्मनोमय चक्र पृथ्वी के साढ़े छ: पाताल भेद चुका था, तब देवो और ऋषियों की विनती पर माँ ललिता ने ही उसे अपनी दाहिनी भुजा से उसको रोका था तबसे इनका नाम चक्रधारिणी भी कहा जाता है । मान्यता के अनुसार देवी भागवत के अनुसार, जब प्रजापति दक्ष ने यज्ञ आयोजन किया था जिसमे सभी देवताओं एवं ऋषिगणों कॊ आमंत्रित किया मगर भगवान भोले शंकर कॊ नही बुलाया था जिससे माता सती अपने पति का अपमान देखकर माता सती क्रोधित होकर अपने पिता दक्ष के यज्ञ मे कूद गई थी तब शिव ने सती के वियोग मे माता सती के शव कॊ लेकर घूमने लगे जिससे भगवान विष्णु ने सती के वियोग कॊ भंग करने के लिये अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर कॊ एक सौ आठ टुकडों मे बाट दिया और यहाँ माता का ह्रदय अंग गिरा जिससे माँ ललिता देवी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुई । पुराणों के अनुसार मुख्य रूप से जो दस महाविद्याओं का उल्लेख किया गया है वह सभी मां ललिता का ही स्वरूप बतलाए गए हैं इस पौराणिक मंदिर की बनावट अपने आप मे अद्भुत है इसके चारों कोनों पर छोटे छोटे गुम्बद बने हुए है । मंदिर के अंदर लिंगधारिणी माँ ललिता का श्री विग्रह है और पास में ही श्री ललितेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है वहीं मन्दिर के मुख्य गर्भगृह में ऊपर दुर्गा और काली की मूर्तियां बनी हुई है । मंदिर की पूर्व की ओर पंचप्रयाग तीर्थ स्थापित है ।
“माँ ललिता देवी पूरी करती हैं भक्तों की मनोकामनाएं”
नैमिषारण्य तीर्थ स्थित शक्ति पीठ ललिता देवी मंदिर में नवरात्रों को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं । शारदीय नवरात्र में नौ दिन देवी की आराधना और पूजन अर्चन से बीतेंगे । नवरात्र के महापर्व के पहले दिन से ही सनातन धर्म का नववर्ष भी शुरू होगा । साधना के उद्देश्य से अतिविशिष्ट यह नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं । साधना के क्षेत्र नैमिषारण्य में नवरात्रि के नौ दिन अति विशिष्ट माने जाते है, इन दिनों माँ ललिता देवी के दरबार में विभिन्न प्रदेशों से भक्त यहां आकर मार्कण्डेय पुराण के अंतर्गत आने वाली दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं । नवरात्रि व्रत समापन पर सभी देवी भक्त करोड़ों वेदमंत्रों से देवी के हवन में आहुतियाँ देते हैं और अपने कल्याण की कामना करते हैं ।