अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद, कश्मीर के माहौल में कितनी सुधार दिख रहा है और लोगों की राय क्या है? क्या इस बार भी लोग मतदान से अलग रहेंगे या खुलकर मतदान करेंगे? इन प्रश्नों पर जम्मू-कश्मीर की जनता का क्या विचार है, यह जानने के लिए देखें इंडिया टीवी की विशेष रिपोर्ट…
श्रीनगर लोकसभा सीट, जो जम्मू और कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों में से एक है, एक हाई प्रोफाइल सीट के रूप में जानी जाती है। पिछले 33 सालों में यहां चुनाव बहिष्कार के कारण बेहद कम वोटिंग परसेंटेज देखा गया है। 2019 में यहां सिर्फ 13% वोटिंग हुई थी, जबकि 70 पोलिंग बूथ्स पर हिंसा के कारण कोई वोट नहीं पड़ा था। हालांकि, इस बार के चुनाव का माहौल बिल्कुल अलग दिख रहा है।
मतदान से ही हल होंगे जरूरी मसले। जम्मू और कश्मीर के दो बड़े राजनीतिक दल, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस, अपने चुनावी मेनिफेस्टो में 370 के नाम पर वोटरों का दिल जीतने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोग महसूस कर रहे हैं कि 2019 के बाद कश्मीर बदल रहा है, विकास हो रहा है। आज लोग इसे तस्लीम करने लगे हैं कि चुनाव के माध्यम से ही आम लोगों के जरूरी मसले जैसे बिजली, पानी और सड़क के मुद्दे हल हो सकते हैं। बेरोजगारी खत्म हो सकती है और इसके लिए वोट करना भी बेहद जरूरी है।
लाल चौक का बदला माहौल। इंडिया टीवी से बात करते हुए, लोगों ने कहा कि इस बात में कोई दोराय नहीं है कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात में बेहतरी आई है। आज ना कोई हिंसा हो रही है और ना कोई हड़ताल, बल्कि आज कश्मीर का ऐतिहासिक लाल चौक शांति की दिशा में श्याम दिख रहा है। लोगों का कहना है कि आज लाल चौक की तस्वीर देखकर ऐसा लगता है कि हम किसी विदेश में हैं। इस तरह के हालात साफ तौर पर दर्शाते हैं कि इस बार चुनाव बहिष्कार नहीं बल्कि लोग खुलकर वोट करेंगे और विकास को चुनेंगे।
आग बढ़ने की बात कर रहे युवा। लोग यह भी मानते हैं कि मोदी ने अच्छा काम किया है, लेकिन जरूरत है बेरोजगारी को खत्म करने और युवाओं को रोजगार देने की। कश्मीर के युवाओं की यह बदलती सोच कश्मीर की असल तस्वीर को बयां करती है। जो लोग कल तक 370 के नाम पर हिंसा, विरोध प्रदर्शन