शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला आईपीएस अधिकारी इल्मा अफरोज को बद्दी में एसपी के रूप में तैनाती देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए, जिससे उन्हें शिमला में तैनाती के बजाय बद्दी में अपनी पूर्व तैनाती पर लौटना होगा।
16 दिसंबर को लंबी छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटने वाली इल्मा अफरोज को हिमाचल की सुक्खू सरकार ने बद्दी की जगह शिमला में डीजीपी दफ्तर में तैनात कर दिया था, जिसके बाद यह मामला सार्वजनिक हो गया था। इससे पहले, जनवरी 2023 में इल्मा अफरोज को बद्दी का एसपी बनाया गया था। उस समय वह सुर्खियों में आईं जब उन्होंने अवैध खनन करने वाले ट्रकों के चालान काटे थे, जो बद्दी के दून विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी के थे। इसके बाद, एसपी और विधायक के बीच तनाव बढ़ गया और दोनों ने एक-दूसरे के कार्यक्रमों से दूरी बना ली। विधायक ने बाद में इल्मा अफरोज पर जासूसी के आरोप लगाए थे और विधानसभा से प्रिवलेज मोशन भी पास कराया था।
इल्मा अफरोज का विवाद और सरकार की किरकिरी
इल्मा अफरोज ने 8 नवंबर को छुट्टी पर जाने से पहले अपना सारा सामान समेट लिया था और 16 दिसंबर को वापसी पर सरकार ने उन्हें शिमला में तैनात कर दिया था। इस निर्णय के बाद सुक्खू सरकार की आलोचना हुई थी, क्योंकि यह मामला अचानक विवादों में आ गया था। सरकार का कहना था कि उन्हें “ऑउट ऑफ वे” जाकर बद्दी का एसपी बनाया गया था, जबकि इल्मा ने खुद ही शिमला में तैनाती के लिए चिट्ठी लिखी थी।
हाईकोर्ट में याचिका और तैनाती पर निर्णय
इस पूरे मामले में सुच्चा सिंह नामक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इल्मा अफरोज को बद्दी में उनकी पूर्व तैनाती पर लौटाने की मांग की थी। कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए इल्मा अफरोज को फिर से बद्दी में एसपी के रूप में तैनाती देने के आदेश दिए हैं।
कौन हैं आईपीएस इल्मा अफरोज?
इल्मा अफरोज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी की निवासी हैं। उन्होंने 2017 में UPSC परीक्षा पास की और 217वीं रैंक हासिल की। अगस्त 2018 में वह आईपीएस अफसर बनीं और हिमाचल प्रदेश कैडर में सेवा शुरू की। इल्मा की जीवन कहानी प्रेरणादायक है, क्योंकि जब वह केवल 14 साल की थीं, तब उनके किसान पिता का कैंसर से निधन हो गया था और उनकी मां ने उन्हें और उनके छोटे भाई को अकेले पाला। इल्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से दर्शनशास्त्र में डिग्री प्राप्त की और बाद में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय, इंग्लैंड में अध्ययन करने के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त की।
इल्मा की मेहनत और संघर्ष की कहानी ने उन्हें एक प्रेरणा स्रोत बना दिया है और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने उन्हें एक मजबूत आईपीएस अधिकारी के रूप में स्थापित किया है।