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Home Haryana हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने कहा- एंटी इंकम्बेंसी हमारी नहीं, अब भी कांग्रेस के लिए

हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने कहा- एंटी इंकम्बेंसी हमारी नहीं, अब भी कांग्रेस के लिए

by Nikhil

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी भाजपा सरकार के हरियाणा में कराए गए विकास कार्यों को लेकर आश्वस्त हैं। दावा करते हैं कि सभी 10 लोकसभा सीटें और करनाल की विधानसभा सीट भाजपा पहले से भी अधिक वोटों से जीतेगी।

मुद्दा किसानों के विरोध का हो, कुछ सीटों पर पेचीदगियों का या एंटी इंकम्बेंसी का…हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी इनमें से किसी को चुनौती नहीं मानते। वह भाजपा सरकार के हरियाणा में कराए गए विकास कार्यों को लेकर आश्वस्त हैं। दावा करते हैं कि सभी 10 लोकसभा सीटें और करनाल की विधानसभा सीट भाजपा पहले से भी अधिक वोटों से जीतेगी। नायब सैनी ने मोदी की गारंटी पर पूरी तरह भरोसा जताते हुए कई मुद्दों पर विस्तार से बात की।

लोकसभा चुनाव में भाजपा की क्या स्थिति है, इस बार लड़ाई कितनी कठिन है और क्या तैयारी है आपकी? 
हमने हरियाणा के 60 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों में जाकर लोगों से बातचीत की है। सभी में जोश व उत्साह दिखाई है। जिस तरह 2019 में दस सीटें जीते थे, भारतीय जनता पार्टी इस बार भी दस की दस लोकसभा की सीटें और करनाल विधानसभा की सीट बढ़े जनमत के साथ जीतेगी। मोदी जी को तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री बनाने में हरियाणा अहम भूमिका अदा करेगा।

क्या मुद्दे लेकर इस बार जनता के बीच लेकर जा रहे हैं?
विकास के मुद्दे हैं। आज हर जिले में फोर लेन रोड बनी हैं। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज बनाने की बात हो, चाहे बेटियों के लिए हर बीस किलोमीटर पर कॉलेज बनाने की, चाहे बिना पर्ची – बिना खर्ची के युवाओं को रोजगार देने की…हमने काम किए हैं। कांग्रेस की सरकार के समय ऐसा महसूस होता था जैसे कोई तराजू रखा हुआ है, जिसकी अटैची में ज्यादा वजन होता था, वह नौकरी लग जाता था। उस समस्या से हमने निजात दिलाई है। आज बिना पर्ची-खर्ची के एचसीएस लग रहे हैं, इंजीनियर लग रहे हैं। हमारी सरकार ने सिस्टम दिया है। इसकी चर्चा गांव में  बैठा आम व्यक्ति भी करता है।

विपक्ष का कहना है कि किसानों की स्थिति पहले से खराब हुई, बेरोजगारी बढ़ी, छोटे उद्योगों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिला?
किसानों की स्थिति पहले से ही खराब थी। कांग्रेस के समय से ही। उसकी जिम्मेवार कांग्रेस पार्टी रही है। दो रुपये, पांच रुपये के चेक देना… किसान के साथ भद्दा मजाक किया गया। उसकी फसल एमएसपी पर नहीं खरीदी जाती थी। आप आकलन कीजिए, 2014 से पहले दस वर्ष तक कांग्रेस की सरकार रही है। कितना एमएसपी बढ़ाकर दिया? 2014 से आज 2024 तक दस वर्ष के कार्यकाल का भी आकलन कीजिए कि हमारी सरकार ने कितना एमएसपी बढ़ाकर दिया।

एंटी इंकम्बेंसी कितनी है और उससे किस तरह आप पार पाएंगे?
एंटी इंकम्बेंसी कहां है, कहीं दिखाई नहीं देती। हमने गांवों में, शहरों में, वार्डों में देखा है कि इन दस वर्षों में मोदी सरकार या डबल इंजन की हमारी सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी जीरो परसेंट है। एंटी इंकम्बेंसी तो कांग्रेस के अंदर है।

एंटी इंकम्बेंसी नहीं है तो ऐसा क्यों हो रहा है कि गांवों  में जाने से भाजपा नेताओं को भी रोका जा रहा है?
गांव के लोग भी समझ रहे हैं, प्रदेश के लोग भी समझ रहे हैं, चार तारीख के बाद विरोध करने वाले बैठ जाएंगे। यह कांग्रेस का अंतिम प्रहार है। इसके बाद न कांग्रेस बचेगी न कांग्रेस का कोई नाम लेने वाला।

आपके दस में से छह उम्मीदवार कांग्रेस पृष्ठभूमि के रहे हैं। एक पर केस भी चल रहा है। क्या उन्हें उम्मीदवार बनाने से भाजपा के लोगों का मनोबल नहीं गिरता है?
हमारे सभी कैंडिडेट भारतीय जनता पार्टी, संगठन के हैं। कोई भी व्यक्ति जब ज्वाइन करता है तो उसके बाद पार्टी डिसाइड करती है कि किसे टिकट देना है किसे नहीं देना है। राव इंद्रजीत व चौधरी धर्मबीर तीसरी बार कमल के फूल पर लड़ रहे हैं। इन्हें (विपक्ष को) कौन सा कैंडिडेट बाहर से दिखाई दे रहा है? दरअसल कांग्रेस के पास कोई प्रत्याशी नहीं है जो लड़ने को तैयार हो, इन्होंने धक्के से टिकट दिए हैं, और आज स्थिति ऐसी है कि वे भागने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे चुनाव का खर्चा अफोर्ड नहीं कर सकते। अभी देखना परचे ले लेकर कुछ और भी भागेंगे।

भाजपा के भीतरी सर्वे में चार पांच सीटों को पेचीदा माना गया है, वहां क्या रणनीति है?
हम गंभीरता से चुनाव को लड़ रहे हैं। एक एक सीट, एक एक प्वांइट को देखकर, हर विषय को देख कर। भारतीय जनता पार्टी की सोच रही है कि छोटा चुनाव हो या बड़ा चुनाव उसे गंभीरता से लड़ना है और हम गंभीरता से चुनाव लड़ रहे हैं। हर कार्यकर्ता से लेकर हमारी लीडरशिप तक।

क्या कारण है कि पहले चरण के मतदान के बाद भाजपा नेता 400 पार के बजाय हिंदू-मुस्लिम, मंगलसूत्र, पाकिस्तान और ओबीसी आरक्षण जैसे मसलों पर आ गए। इसे क्या संकेत माना जाए?
हिंदु-मुस्लिम या पाकिस्तान हम नहीं कर रहे, कांग्रेस कर रही है। यह मुस्लिमों को धर्म के आधार पर आरक्षण देते हैं। इन्होंने देश को बांटने और कमजोर करने का दुर्भाग्यपूर्ण काम किया। कर्नाटक में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का काम किया। मुस्लिमों में संपन्न लोग भी हैं, गरीब लोग भी हैं। राहुल गांधी कहते हंै कि गरीबी खत्म कर दूंगा… अरे, अपने परिवार की तरफ तो देख लें, इंदिरा गांधी ने 1970 के दशक में गरीबी हटाओ का नारा दिया… मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या गरीबी हटाई गई?