सूरत लोकसभा सीट पर भाजपा की निर्विरोध जीत से कांग्रेस-गठबंधन को एक मजबूत झटका पहुंचा है। इस घटना के संदर्भ में राजनीतिक क्षेत्र में तीखी आलोचना हो रही है, और यह मामला चंडीगढ़ के मेयर चुनाव के साथ तुलना किया जा रहा है। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के खिलाफ धक्का मारने का मामला बताया है। ऐसा कहा जा रहा है कि ‘मिशन सूरत’ में भाजपा का लक्ष्य कांग्रेस से अधिक अरविंद केजरीवाल पर था, जिन्होंने अपनी बेहद मजबूत पकड़ बनाई थी और भगवा दल को परेशान किया था। अगर केजरीवाल सूरत में सफल हो जाते, तो उनकी उपस्थिति भविष्य में भाजपा के लिए एक संकट बन सकती थी। इसके अलावा, आम आदमी पार्टी के नेता भाजपा में शामिल होने से भी केजरीवाल की पार्टी को चोट पहुंची।
दरअसल, आम आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम के चुनाव में 27 सीटों पर शानदार जीत हासिल कर ली थी। बाद में हुए गुजरात विधानसभा के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी पांच सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही थी। पार्टी ने 13 फीसदी का शानदार वोट शेयर भी हासिल किया था। उसे जामनगर, भावनगर के इलाकों में अच्छी सफलता मिली थी। सूरत में भी उसने वराछा, करंज और कतारगाम विधानसभा क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अच्छी संख्या में वोट हासिल किए थे।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी गुजरात में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। यदि दोनों पार्टियां बेहतर तालमेल से मैदान में उतरते, तो वे भाजपा के सामने बेहतर चुनौती पेश कर सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने जिस तरह सुनीता केजरीवाल को आगे रखकर अपनी चालें चलनी शुरू की हैं, पार्टी को उसका भी लाभ मिल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का इस सीट पर जीतना लगभग तय था, लेकिन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठजोड़ भाजपा के लिए खतरे का संकेत दे सकता था।
सौराष्ट्र और पूरे देश को संदेश देने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषक यजुवेंद्र दुबे ने अमर उजाला को बताया कि पिछले चुनाव में सौराष्ट्र क्षेत्र में भाजपा को कुछ टक्कर मिली थी। सौराष्ट्र के ज्यादातर लोग कामकाज और रोजगार के लिए सूरत शहर का ही रुख करते हैं। इसलिए सूरत में बड़ी जीत हासिल कर भाजपा इन प्रवासियों के माध्यम से पूरे सौराष्ट्र क्षेत्र को एक संदेश देना चाहती है। साथ ही, सूरत से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश के लोगों को भी एक संदेश देने की कोशिश की जा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इसी क्षेत्र ने उत्तर भारत में भाजपा की जीत के दरवाजे खोले थे। इस बार भी यहां से उसी तरह का संदेश देने की रणनीति भाजपा अपना रही है।
हर लोकसभा सीट पर पांच लाख वोटों के अंतर से जीत का लक्ष्य रखने की रणनीति गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल की दृढ़ निश्चितता को प्रकट करती है। उनका उद्देश्य है गुजरात से अत्यधिक वोटों के साथ विजय प्राप्त करना, जिससे पूरे देश में एक महत्वपूर्ण संदेश प्रस्तुत किया जा सके। इसके लिए, उनकी टीम दिन-रात परिश्रम कर रही है।
लिमबायत विधानसभा सीट से विधायक संगीता पाटिल ने सीआर पाटिल के प्रयासों की सराहना की, जो अपनी नवसारी लोकसभा सीट को समर्थकों-विधायकों के भरोसे छोड़ दिया है। इसके बावजूद, हर विधायक ने अपने क्षेत्र से एक-एक लाख वोटों के अंतर से उन्हें जीतने के लिए परिश्रम किया है। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए, उन्होंने मेहनत और समर्पण की अद्भुत उदाहरण स्थापित किया है।