केंद्र ने उन कलाकारों को उनके आवास से बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिन्हें 1970 के दशक में खेल गांव (Asiad village) में किराए पर सरकारी बंगला (Government Bungalows) आवंटित किया गया था. इनमें कई पद्म और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता शामिल हैं. दिल्ली के खेलगांव में आर्टिस्ट कोटे से आवंटित किए गए कई घरों को खाली कराने का कोर्ट ने आदेश दिया है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक केंद्र सरकार ने आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई से कलाकार मायूस हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कोर्ट में इस मामले को लेकर चुनौती दी है फिर भी बगैर नोटिस के घरों को खाली कराने की कार्रवाई की जा रही है. आज इस मामले में फिर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है.
गुरु मायाधर राउत को 2010 में मिला था पद्मश्री सम्मान
दक्षिण दिल्ली के खेलगांव में रह रहे 91 वर्षीय उड़िया (ओडिसी) नर्तक और पद्मश्री सम्मान से सम्मानित गुरु मायाधर राउत के सरकारी बंगले को खाली करा लिया गया. मंगलवार को उनके घर पहुंचे अधिकारियों ने उनका सामान उठाकर घर से बाहर कर दिया.
91 वर्षीय ओडिसी नर्तक और पद्म श्री सम्मान से सम्मानित गुरु मायाधर राउत को ओडिसी को शास्त्रीय दर्जा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए 2010 में राष्ट्रपति द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. मंगलवार दोपहर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र उनके अन्य सामानों के साथ सड़क पर पड़ा था क्योंकि उन्हें बेदखल किया गया था.
पद्म श्री मायाधर राउत की बेटी बोलीं, मैं आज बहुत आहत हूं
ओडिसी नर्तक और पद्म श्री सम्मान से सम्मानित गुरु मायाधर राउत की बेटी और ओडिसी नृत्यांगना मधुमिता राउत ने कहा कि जब अधिकारी पहुंचे तो वह दोपहर का भोजन कर रही थीं. “मैं आज बहुत आहत हूँ. यहां एक नर्तकी है जिसने देश के कुछ सबसे प्रसिद्ध नर्तकियों जैसे सोनल मानसिंह और राधा रेड्डी को प्रशिक्षित किया और इस तरह आप क्रूरता से पेश आते हैं. उन्होंने 50 साल तक दिल्ली में पढ़ाया, और उनके पास कहीं एक इंच भी जमीन नहीं है… वे इस तरह से बाहर किए जाने के लायक नहीं हैं. हर नागरिक बुनियादी गरिमा का हकदार है, मधुमिता ने कहा, वे अस्थायी रूप से सर्वोदय एन्क्लेव में अपने माता-पिता के साथ उनके छात्र के स्वामित्व वाले घर में आसरा लिए हुए हैं.
70 के दशक में आवंटित हुए थे आवास, 2020 में घर खाली करने का मिला नोटिस
70 के दशक में 40-70 वर्ष की आयु के बीच के कलाकारों को तीन साल की शर्तों के लिए मामूली किराए पर आवास आवंटित किया जाता था, जिसे नियमित रूप से बढ़ाया जाता रहा. किराए का विस्तार 2014 में समाप्त हो गया और तब से कलाकारों और संस्कृति मंत्रालय के बीच लगातार पत्रों का आदान-प्रदान होता रहा है. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने उन्हें 2020 में इन घरों को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था. कथक के दिवंगत प्रतिपादक बिरजू महाराज, ध्रुपद प्रतिपादक वसीफुद्दीन डागर, कुचिपुड़ी गुरु जयराम राव और मोहिनीअट्टम के प्रतिपादक भारती शिवाजी सहित कई कलाकारों ने अदालत का रुख किया था.
25 अप्रैल तक आवास खाली करने का था आदेश
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत संपदा निदेशालय के एक अधिकारी ने कहा कि उनकी टीमें सरकारी बंगलों को खाली करने की कार्रवाई कर रही हैं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया था कि कलाकार अब सरकारी बंगलों के लिए पात्र नहीं होंगे. दिल्ली हाई कोर्ट ने उस फैसले को बरकरार रखा था और हमने मानवीय आधार पर 25 अप्रैल तक घर खाली करने के लिए नोटिस दिया था. कलाकारों ने कुछ और समय देने के लिए कहा था. वह समय भी अब बीत गया है. अधिकारियों के अनुसार ऐसे 28 आवासों में से 17 कलाकार खाली कर दिए हैं और शेष ने हमें सूचित किया है कि वे कुछ दिनों में आवास खाली कर देंगे.