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सबसे बड़ा IPO लाने वाली LIC के सफर की कहानी, कैसी बनी यह इतनी बड़ी बीमा कंपनी, जानिए हर बड़ी बात

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एक लम्बे इंतजार के बाद आखिरकार देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का आईपीओ (IPO) खुल गया. इसे निवेशकों का शानदार रिस्पॉन्स मिल रहा है. यह शनिवार को भी खुला रहेगा. जिस एलआईसी के आईपीओ की इस देश में चर्चा हो रही है उस कंपनी का सफर आसान नहीं रहा है. करीब 66 साल पहले खुली इस बीमा कंपनी की पॉलिसी (LIC Policies) से आज देश के ज्यादातर घरों से कोई न कोई जुड़ा हुआ. जिस दौर में एलआईसी अस्तित्व में आई उस दौर में सिर्फ प्राइवेट बीमा कंपनियों का दबदबा था. एक मध्यम वर्ग के इंसान के लिए पॉलिसी लेना आसान नहीं था, लेकिन LIC ने न सिर्फ घर-घर तक अपनी पहुंच बनाई बल्कि उनका विश्वास भी हासिल किया.

कब और कैसे देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी की नींव पड़ी, कितनी मुश्किलों को पार करके इसने मुकाम बनाया, जानिए इन सवालों के जवाब…

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी की नींव ऐसे पड़ी

आजाादी के बाद देश में इंश्योरेंस का काम सिर्फ प्राइवेट कंपनियां ही कर रही थीं. ज्यादातर घरों में परिवार के सदस्यों की संख्या ज्यादा थी और कमाने का वाला सिर्फ एक. ऐसे में उस मुखिया को आर्थिक सुरक्षा देने के लिहाज से इंश्यारेंस काफी जरूरी था. लेकिन तत्कालीन सरकार को लगता था कि इनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए एक सरकारी इंश्योरेंस कंपनी बनाई जानी चाहिए.

सरकार की इस पहल की नींव 19 जून 1956 को रखी गई और संसद में लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट पारित किया. इस एक्ट के पारित होने के बाद देश में पहले से काम कर रहीं 245 प्राइवेट बीमा कंपनियों का अधिग्रहण किया गया. इसके बाद 1 सितंबर 1956 को भारतीय जीवन बीमा निगम यानी LIC तैयार हुई.

पहले दिन बना रिकॉर्ड

एलआईसी जब अस्तित्व में आई तो पहले ही दिन रिकॉर्ड बन गया. दरअसल कई प्राइवेट बीमा कंपनियों के अधिग्रहण के बाद जब एलआईसी बनी तो इसमें 27 हजार कर्मचारी थे. 50 लाख पॉलिसी रिकॉर्ड में थीं. इसलिए पहले ही दिन एलआईसी का नाम सबसे ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी में शामिल हुआ. वर्तमान में इस कंपनी में करीब 1 लाख से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं और करीब 30 करोड़ बीमा पॉलिसी इसके पास हैं.

हर वर्ग तक ऐसे पहुंचाई पॉलिसी

1956 में भले ही एलआईसी कंपनी अपने अस्तित्व में आई, लेकिन इसका सफर आसान नहीं था. हर वर्ग को जोड़ने के लिए कंपनी के कर्मचारियों को बड़े जतन करने पड़े. अपनी बात, अपनी पॉलिसी और उसके फायदों को समझाने के लिए कर्मचारी गांव के कोने-कोने तक साइकिल और बैलगाड़ी का सफर करके पहुंचते थे. कहीं यह भी न मिलने पर पैदल ही सफर पर निकल जाते थे. कर्मचारियों की मेहनत और एक लम्बे समय के बाद लोगों को एलआईसी के प्रति विश्वास बढ़ने लगा. उन्हें इसके फायदे भी मिले.

एलआईसी के कर्मचारियों ने सिर्फ एक एजेंट के तौर पर नहीं बल्कि परिवार के मेम्बर्स की तरह काम किया. लोगों को फैमिली मेम्बर्स की तरह सलाह दी, उनकी जरूरतों के मुताबिक पॉलिसी समझाईं और कागजी कार्यवाही में भी उनकी हर संभव मदद की. इससे विश्वास भी बढ़ा और पॉलिसीधारकों की संख्या भी. यही विश्वास आज भी कायम है.आज देश के सिर्फ ग्रामीण हिस्सों में एलआईसी की 12 करोड़ पालिसियां हैं।

आज बाजार में 65 फीसदी हिस्सेदारी

आज बाजार में एलआईसी की 65 फीसदी हिस्सेदारी है. करीब 13 लाख एजेंट हैं. 30 करोड़ से अधिक पॉलिसी हैं और 1.14 लाख कर्मचारी हैं. हर साल एलआईसी करीब 3 करोड़ नई पॉलिसी जारी करता है. एक और सबसे जरूरी बात, LIC का क्लेम सेटलमेंट रेशियाे 98.3 फीसदी है जो देश में सबसे ज्यादा है. इसलिए एलआईसी लोगों की पहली पसंद है और आईपीओ को लेकर निवेशकों में उत्साह है.

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