आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष की शरद पूर्णिमा 09 अक्टूबर रविवार को है।
शक्ति ज्योतिष केन्द्र लखनऊ के अनुसार पूर्णिमा तिथि रविवार को सूर्योदय के पहले से आरम्भ होकर देर रात्रि 02:24 बजे तक रहेगी। उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र और स्थिर योग की युति से यह पूर्णिमा अति महत्व पूर्ण हो रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी है।
शरद पूर्णिमा को अन्य कई नामों से भी जाना जाता है। जैसे — रास पूर्णिमा, कुमार पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा आदि। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा का चन्द्र रात भर अमृत की वर्षा करता है। अतः इस रात्रि को गाय के दूध में खीर पका कर चन्द्रमा की किरणों के नीचे रखने से उसमें अमरत्व के गुण आ जाते हैं।
शरद पूर्णिमा क्यों है महत्वपूर्ण —
योगिराज श्री कृष्ण ने राधा रानी के साथ पहला रास शरद पूर्णिमा को ही रचाया था।
कुमार कार्तिकेय का जन्म इसी दिन हुआ था।
माता लक्ष्मी का आविर्भाव भी इसी दिन हुआ।
आज का चाँद सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
कैसे करें पूजन — पण्डित शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि शरद पूर्णिमा को रात्रि जागरण करने और माता लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है।
कलश स्थापन करके श्री विष्णु जी एवम् माता लक्ष्मी जी का शोडषोपचार या पंचोपचार पूजन करें। दूर्वा , कमल पुष्प, सिन्दूर और नारियल के लड्डू चढ़ायें। श्री सूक्त का पाठ करें। सम्भव हो तो पुरुष सूक्त का भी पाठ करें या श्री विष्णु सहस्त्र नाम का जप करें।