पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव ( West Bengal Assembly Election) में भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल में कमल खिलाने का सपना देखा था, लेकिन यह सपना चकनाचूर हो गया और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के नेतृत्व में राज्य में तीसरी बार ‘मां, माटी, मानुष’ की सरकार बनी है और वह आज अपनी पहली वर्षगांठ मना रही है. पर विधानसभा चुनाव के बाद से लगातार लोकसभा उपचुनाव, विधानसभा उपचुनाव और नगरपालिका चुनाव में पराजय का सामना कर रही बंगाल बीजेपी अपने अस्तित्व की लड़ाई रही है और पार्टी का जनाधार लगातार खिसक रहा है. साथ ही बंगाल बीजेपी के नेताओं में घमासान मचा हुआ है. विधानसभा चुनाव के पहले टीएमसी को छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने की भगदड़ मची हुई थी और अब वही भगदड़ बीजेपी में मची हुई है और इस स्थिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah Bengal Visit ) का गुरुवार से दो दिवसीय बंगाल दौरा शुरू हो रहा है.
बंगाल विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद अमित शाह का यह पहला बंगाल दौरा है, हालांकि इस दौरे के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री बीएसएफ के कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे और बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा की स्थिति का मुआयना करेंगे, लेकिन इसके साथ ही वह कोलकाता में दक्षिण बंगाल के नेताओं और दार्जिलिंग में वह उत्तर बंगाल के नेताओं के साथ बैठक करेंगे. यह बैठक पार्टी में नयी जान फूंकने की कोशिश मानी जा रही है.
बंगाल बीजेपी के नेताओं में मचा हुआ है घमासान
बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पराजय का बड़ा कारण बीजेपी के संगठन का कमजोर होना था. इसलिए बंगाल बीजेपी और केंद्रीय नेतृत्व ने सबसे पहले संगठन को मजबूत करने की पहल की और बंगाल बीजेपी के सबसे सफल अध्यक्ष रहे दिलीप घोष की जगह सुकांत मजूमदार को नया अध्यक्ष बनाया गया. दिलीप घोष को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई और जैसा होता है सुकांत मजूमदार ने पार्टी की कमान संभालने के बाद पार्टी की राज्य कार्यकारिणी में बड़ा फेरबदल किया और पार्टी के संगठन को मजबूत करने की कोशिश की, लेकिन उनकी इस कोशिश ने पार्टी के बड़े स्तर के नेता को नाराज कर दिया. पार्टी के सांसद और राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर से लेकर सांसद अर्जुन सिंह जैसे नेता नाराज हो गए. कई नेताओं ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई और बीजेपी नेता रीतेश तिवारी और जय प्रकाश मजूमदार को पार्टी से निकाल दिया गया, लेकिन फिर से बगावत थम नहीं रही है.
चुनाव के बाद बीजेपी छोड़कर टीएमसी में शामिल होने की मची है होड़
इसके साथ ही विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी छोड़ने वाले नेताओं की होड़ मची हुई है. मुकुल रॉय, पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो सहित पांच विधायक अभी तक पार्टी छोड़ चुके हैं. विधानसभा में टीएमसी विधायकों की संख्या 213 से बढ़कर 222 हो गई है और बीजेपी के विधायकों की संख्या घटकर 77 से 72 हो गई है. प्रत्येक दिन कोई न कोई नेता और विधायक बगावत करता दिखाई देता है. हाल में कई नेताओं ने राज्य कमेटी से भी इस्तीफा दे दिया है. हाल में बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रही, तो चुनावों में बीजेपी उम्मीदवारों का जनाधार लगातार गिर रहा है. बंगाल बीजेपी के बड़े नेताओं के बूथ पर ही बीजेपी के उम्मीदवार पराजित हो रहे हैं. ऐसी स्थिति में अमित शाह की यह कोशिश होगी कि बंगाल में बिखरती बीजेपी को फिर से कैसे रोका जाए. दो दिनों के दौरे के दौरान अमित शाह पार्टी नेताओं में फिर से विश्वास पैदा करेंगे और एकजुट होकर ममता बनर्जी से लड़ने का मंत्र देंगे.
विधानसभा चुनाव के पहली सभा ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ भरेंगे हुंकार
अमित शाह का यह दौरा राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. आज के दिन पिछले साल ममता बनर्जी ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. एक ओर कोलकाता में ममता बनर्जी तीसरे कार्यकाल की वर्षगांठ पर नए जनसंपर्क कार्यक्रम की शुरुआत करेंगी. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सिलीगुड़ी के रेलवे मैदान में हिंसा के खिलाफ और भयमुक्त बंगाल बनाने के आह्वान पर जनसभा करेंगे और ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोलेंगे. बता दें कि विधानसभा चुनाव के बाद अमित शाह का यह न केवल पहला दौरा है, बल्कि पहली जनसभा भी है. जिस सभा से वह ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोलेंगे और विधानसभा चुनाव के बाद बंगाल में हो रही राजनीतिक हिंसा को लेकर ममता बनर्जी की सरकार पर जमकर निशाना साधेंगे. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की छह सीटों में से पांच पर कब्जा किया था और उत्तर बंगाल में बीजेपी का बड़ा जनाधार माना जाता रहा था. उत्तर बंगाल से जनसभा की शुरुआत कर अमित शाह बंगाल में पार्टी के जनाधार को बनाए रखने की कोशिश करेंगे और पार्टी नेताओं को एकजुट करेंगे.