उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में पुलिस कस्टडी में हुई मोहित पांडेय की मौत के बाद सोमवार को उनके परिजनों से मुलाकात की। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री ने मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता, आवास और बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का आश्वासन दिया। मृतक की पत्नी, मां, बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य इस दौरान मौजूद थे। उनके साथ स्थानीय विधायक योगेश शुक्ला भी आए थे।
10 लाख रुपये मुआवजा और बच्चों को निःशुल्क शिक्षा
मुख्यमंत्री ने मोहित पांडेय के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और एक आवास देने की घोषणा की। इसके साथ ही, उन्होंने परिवार के सभी बच्चों की निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, सरकार ने परिवार को अन्य सभी सरकारी योजनाओं का लाभ देने का वादा किया है।
मोहित पांडेय की पुलिस कस्टडी में मौत: घटनाक्रम
लखनऊ के चिनहट थाना क्षेत्र में जैनाबाद के निवासी मोहित पांडेय (30), जो कि स्कूल यूनिफॉर्म का व्यापार करते थे, की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। परिवार का कहना है कि शुक्रवार रात मोहित का अपने कर्मचारी आदेश से लेनदेन को लेकर विवाद हुआ था, जिसके बाद पुलिस दोनों को चिनहट थाने ले गई। मोहित का भाई शोभाराम भी जब मिलने आया तो उसे भी लॉकअप में बंद कर दिया गया।
इस घटना के बाद, मोहित की मौत के लिए चिनहट थाना प्रभारी अश्वनी कुमार चतुर्वेदी, कर्मचारी आदेश, उसके चाचा और अन्य के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि एफआईआर दर्ज होते ही इंस्पेक्टर को सस्पेंड करना चाहिए था, लेकिन उसे देर से निलंबित किया गया, जिससे उसे साक्ष्यों में छेड़छाड़ का मौका मिल गया।
CCTV फुटेज में मोहित की हालत खराब दिखी
इस बीच, रविवार को चिनहट कोतवाली के लॉकअप की CCTV फुटेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें मोहित की हालत बिगड़ते हुए देखी गई। 24 अक्टूबर की इस फुटेज में मोहित अपने भाई और कुछ अन्य लोगों के साथ लॉकअप में नजर आ रहे थे। फुटेज में मोहित अचानक तड़पते हुए दिखाई दिए, जिसके बाद उनके भाई ने मदद करने की कोशिश की। पुलिस को सूचना देने के बावजूद समय पर सहायता नहीं मिली, और मोहित की हालत और बिगड़ गई।
न्याय की मांग और जांच की अपील
मोहित पांडेय की मौत के बाद उनके परिवार और स्थानीय नेताओं ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। परिवार का आरोप है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और समय पर कार्रवाई नहीं की गई। मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।
इस घटना ने लखनऊ में प्रशासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं और एक बार फिर पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों पर सख्त कदम उठाने की मांग को बल दिया है।