रामनवमी के अवसर पर, रामलला की महिमा और समृद्धि का श्रृंगार करते हुए अद्वितीय उत्साह बनेगा। उनके जन्मोत्सव के अवसर पर, विशेष आभूषणों का विशेष उपयोग किया जाएगा। बुधवार को, 500 वर्षों के बाद, शुभ योग में, रामलला उनके भव्य महल में अपना जन्मदिन मनाएंगे। सूर्यवंशी भगवान राम की ताजगी और प्रकाश की किरणें उनके मस्तक पर विशेष रूप से छाएंगी, जो विज्ञान और इंजीनियरिंग के अद्भुत प्रयोग से संभव होगा। इस अद्वितीय समय में, रामलला का श्रृंगार भी अत्यंत विशेष और आकर्षक होगा।
इस बार के रामजन्मोत्सव को अद्भुत, अलौकिक और अविस्मरणीय बनाने के लिए, शासन, प्रशासन और राममंदिर ट्रस्ट मिलकर प्रयासरत हैं। रामजन्मोत्सव के दिन, रामलला उत्तम स्वर्णमुकुट और रत्नजड़ित पीले रंग की पोशाक में भक्तों को दर्शन देंगे। रामनवमी के दिन सुबह 3:30 बजे से ही रामलला के दर्शन का आयोजन होगा, और यह कार्यक्रम रात 11 बजे तक निरंतर चलता रहेगा। यह बारीकी से योजित होगा कि रामलला का अभिषेक, श्रृंगार, राग-भोग, आरती और दर्शन समय समय पर आयोजित होंगे और ये सभी कार्यक्रम साथ-साथ चलेंगे।
रामनवमी के महापर्व पर, दोपहर 12 बजे को रामलला के जन्म की आरती होगी। रामलला को अलग-अलग प्रकार की पंजीरी सहित 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। उससे पहले, रामलला का विभिन्न औषधियों से युक्त कलश से अभिषेक किया जाएगा। फिर उनका श्रृंगार किया जाएगा। हीरे, मोती, सोने-चांदी के विभिन्न प्रकार के आभूषणों से रामलला को सजाया जाएगा। रामजन्म के समय, रामलला का अभिषेक और श्रृंगार किया जाएगा, और उस समय एक पर्दा लगाया जाएगा ताकि भक्त उनके श्रृंगार और अभिषेक को साक्षात्कार कर सकें। यह वाकई एक अद्भुत क्षण होगा।
रामनवमी की नवमी तिथि के पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:23 बजे से शुरू होकर 17 अप्रैल को दोपहर 03:15 बजे तक रहेगा।
इसमें सबसे शुभ विजय मुहूर्त दोपहर 02:34 बजे से 03:24 बजे तक है।
और गोधूलि मुहूर्त शाम 06:47 बजे से 07:09 बजे तक रहेगा।