पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Former PM Rajeev Gandhi) की हत्या के आरोपी एजी पेरारिवलन (AG Perarivalan) की रिहाई मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, आरोपी ए जी पेरारिवलन की रिहाई के संबंध में केंद्र सरकार एक हफ्ते के अंदर अपना रुख स्पष्ट करे. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने केंद्र सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा, आरोपी को रिहाई क्यों नहीं मिलनी चाहिए? इस पर केंद्र सरकार (Central Government) अपना जवाब दें. दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल रहे एजी पेरारीवलन को पिछले महीने देश की शीर्ष अदालत से जमानत मिल गई थी. पेरारीवलन उम्रकैद की सजा काट रहा था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने कोर्ट में जमानत देने का विरोध किया था.
खराब स्वास्थ्य की वजह से मिली थी जमानत
एजी पेरारीवलन को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा उसके आचरण, उसके खराब स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत की गई है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उसने 30 साल से अधिक समय जेल में बिताया है. हमारा विचार है कि उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था राज्यपाल को जेल से रिहा करने की अपनी याचिका पर फैसला करना बाकी है. पेरारीवलन को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी और वह 32 साल से जेल में बंद है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में आरोपी ने एमडीएमए जांच पूरी होने तक इस मामले में उम्रकैद की सजा को स्थगित करने की मांग की गई थी.
चार आरोपियों को सुनाई गई थी सजा
राजीव गांधी की हत्या के मामले में मई 1999 के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों पेरारीवलन, मुरुगन, संथम और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था. इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी को सुनवाई करते हुए राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारीवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों संथम और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया था. देश के पूर्व प्रधानमंत्री और राहुल गांधी के पिता राजीव गांधी के हत्याकांड में पेरारिवलन के अलावा संतन, मुरुगन और नलिनी दोषी हैं. मुरुगन नलिनी का पति है. बता दें तमिलनाडु के श्रीपेरम्बुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई 1991 में लिट्टे के आत्मघाती हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई थी.