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राजद्रोह मामलाः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का दिया आखिरी मौका, कहा- आपके पास सोमवार तक का है समय

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राजद्रोह मामले मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह पहले इस मुद्दे पर फैसला करेगा कि क्या राजद्रोह कानून के खिलाफ याचिका को एक बड़ी बेंच को भेजा जाए और मामले को मंगलवार के लिए लगाया जाता है. अदालत केंद्र को कानून की वैधता पर अपना जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका देता है और इसके लिए सोमवार सुबह की समय सीमा तय करता है. इस दौरान केंद्र सरकार कि ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने न्यायाधीश नुथलापति वेंकट रमना की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि मुझे पता है कि हमें (केंद्र सरकार) राजद्रोह के मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था और इसके दो कारण हैं कि हमने इस मामले में जवाब क्यों नहीं दाखिल किया.

सीजेआई एनवी रमणी की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच से एसजी मेहता ने कहा, ‘हम मामले में सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए यह देरी हुई है.’ एसजी मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि मामले की प्रकृति और मामले के नतीजों को ध्यान में रखते हुए लॉर्डशिप इस मामले की सुनवाई के लिए उस तारीख पर विचार कर सकती है, जब यह अदालत उचित समझे, लेकिन फिलहाल हमें जवाब दाखिल करने को समय प्रदान करें. एसजी मेहता ने कहा कि इस तरह के मामले में पीठ को तारीख आगे बढ़ाने यानी मामले में स्थगन देने के बारे में सोचना चाहिए जो वह सबसे उचित समझे.

मामले में तारीख देने का फैसला करना सर्वोच्च न्यायालय पर निर्भरः वेणुगोपाल

भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने कहा कि मामले में तारीख देने का फैसला करना सर्वोच्च न्यायालय पर निर्भर है. आज की स्थिति में राजद्रोह के विशेष प्रावधान को बनाए रखना होगा. इस पर एजी ने जवाब दिया कि मैंने कहा था कि कानूनों को राजद्रोह का ध्यान रखना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के मामले में सरकार को दो दिन का और समय दिया. पीठ ने एसजी से कहा आप दो दिन का समय और ले लीजिए.

राजद्रोह पर आईपीसी की धारा 124 ए को बरकरार रखा जाएः वेणुगोपाल

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल का कहना है कि राजद्रोह पर आईपीसी की धारा 124 ए को बरकरार रखा जाना चाहिए, लेकिन अदालत इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी कर सकती है और कहती है कि हाल ही में हनुमान चालीसा के पाठ से संबंधित विवाद में राजद्रोह लगाया गया. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से बीजेपी की सांसद नवनीत राणा पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप को गलत बताया.

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