महाराष्ट्र में किसानों की समस्या बढ़ते ही जा रही है. कभी उपज के गिरते दाम तो कभी प्रकृति की मार को किसानों को झेलना पड़ रहा है. एक तरफ प्याज उत्पादक किसान प्याज के गिरते दाम से परेशानी में हैं तो वहीं अब मिर्च (Chilli) उत्पादक किसान मिर्च की फसल पर लग रहे कीटों और बीमारियों से परेशान हैं. इस साल भीषण धूप का प्रकोप मार्च महीने से ही पड़ रहा है. ऐसे में सब्जी उत्पादक सोच रहे हैं कि अपनी फसलों की सुरक्षा कैसे करें. किसानों का कहना है कि लगातार बिजली की लोड शेडिंग की जा रही है, जिसके चलते फसलों की सिंचाई के लिए सही से बिजली नहीं मिल पा रही है. इस कारण सब्जी की फसल बर्बाद हो रही है. नांदेड़ में मिर्च उत्पादकों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जिले में सबसे ज्यादा मिर्च की खेती की जाती है. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि मई के महीने में और भी किसानों (Farmer) को इस तरह की परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
लोड शेडिंग का भार सब्जी उत्पादकों पर पड़ रहा है. सिंचाई के लिए बिजली की कमी ने मिर्च की फसलों पर बीमारी फैला दी है. नतीजतन, मिर्च उत्पादन में भारी गिरावट आई है. इसके अलावा मिर्च की फसल पर ब्लैक थ्रिप्स कीटों का भी लगातार प्रकोप बढ़ता जा रहा है. इसके चलते मिर्च के उत्पादन में भारी गिरवाट आई है. इस कारण थोक बाजार में हरी मिर्च की कीमत 100 रुपये किलो तक पहुच गई है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय मे और भी दाम बढ़ सकते हैं.
गर्मी बढ़ने से फसलों पर होगा ज्यादा असर
बढ़ती गर्मी के कारण सिंचाई के लिए बिजली अच्छे से नहीं मिल पा रही है. मिर्च उत्पादक किसान बेबस हो गए हैं. जिले के चित मोगरा गांव के किसानों ने 1.5 एकड़ क्षेत्र में मिर्च लगाई थी, लेकिन अब ऐसी परिस्थितियों में किसान को प्रति सप्ताह केवल 18 से 25 किलोग्राम मिर्च का उत्पादन ही मिल पा रहा है, जो कि बहुत ही कम है. मिर्च उत्पादन में गिरावट देख सकते हैं.
मार्च और अप्रैल में तीव्र गर्मी की लहरों का अनुभव करने के बाद अब मराठवाड़ा में भी मई में गर्मी की लहरों का अनुभव होने की संभावना है, इसलिए कृषि विश्वविद्यालय किसानों से अपनी फसलों की उचित देखभाल करने की अपील कर रहा है. अप्रैल के महीने में मराठवाड़ा के कई इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. नांदेड़ के औरंगाबाद में पारा 41 डिग्री के पार चला गया है. मई में गर्मी और तेज होने की संभावना जताई जा रही है. साथ ही, कोयले की किल्लत से राज्य पर लोड शेडिंग का संकट मंडरा रहा है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल की देखभाल के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.