धान का कटाेरा कहे जाने वाले छतीसगढ़ (Chhattisgarh) में खरीफ सीजन की तैयारियां मंगलवार से शुरू हो गई हैं. इसके लिए मंगलवार को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. असल में अक्षय तृतीया के अवसर पर छतीसगढ़ में माटी दिवस पूजन आयोजित किया जाता है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने एक महाअभियान की शुरूआत की. जिसके तहत मुख्यमंत्री पारंपरिक धोती-कुर्ता पहनकर ट्रैक्टर चलाते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय स्थित खेत में पहुंचे. जहां उन्होंने प्राचीन मान्यताओं के अनुसार धरती माता की पूजा की. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कोठी से अन्न लेकर ठाकुर देव को अर्पित किया. बाद में उन्होंने स्वयं खेत में लौकी और तुरई का बीज बोया.
माटी पूजन दिवस के साथ शुरू हुई खरीफ सीजन की तैयारियां
छतीसगढ़ में अक्षय तृतीया के अवसर पर माटी पूजन दिवस आयोजित किया जाता है. छतीसगढ़ सरकार ने इसे माटी पूजन महाअभियान मनाने की घोषणा की थी. इसी के अनुरूप इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां प्रदेश के किसानों के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व सरकार के अन्य मंत्री व अधिकारी भी मौजूद रहे. असल में माटी पूजन छतीसगढ़ की एक विशेष पंरपरा है. इस दिवस के बाद छतीसगढ़ में विधिवत रूप से खरीफ सीजन की तैयारियां शुरू हो जाती है. छतीसगढ़ के लिए खरीफ सीजन को महत्वपूर्ण माना जाता है. क्योंकि खरीफ सीजन में मुख्य रूप से धान की खेती होती है और छतीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है.
इस बार छतीसगढ़ का भी जैविक खेती पर जोर
छतीसगढ़ सरकार का भी इस बार जैविक खेती पर जोर है. असल में छतीसगढ़ सरकार प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देना चाह रही है. जिसके बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए माटी पूजन महाअभियान शुरू किया गया. मंगलवार को महाअभियान की शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अक्षय तृतीया से नई फसल की तैयारियां शुरू हो जाती है. उन्होंने कहा कि इस महाअभियान का उद्देश्य राज्य में रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती को दोबारा स्थापित करना है. जिसके तहत छतीसगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि छतीसगढ़ की कृषि परंपरा में मंगलवार का दिन विशेष महत्व रखता है.
मुख्यमंत्री नेकिसानों को दिलाई शपथ
माटी पूजन महाअभियान के तहत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों को शपथ दिलाई. उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी माटी, जिसे ‘माता भुइयां’ कहते हैं, हम उसकी रक्षा करेंगे. उन्होंने आगे कहा किसानों को खेत, बगीजों में जैविक खाद का प्रयोग करने की भी शपथ दिलाई. साथ ही ऐसा कोई भी काम ना करने की सलाह दी, जिसे मिट्टी, जल और पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे.