मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद से महाविकास अघाड़ी (MVA) में फूट की अटकलें तेज हो गई थीं। चुनाव परिणामों के बाद देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और इसके बाद विधानसभा के विशेष सत्र के पहले दिन ही महाविकास अघाड़ी को एक बड़ा झटका लगा। समाजवादी पार्टी (SP) ने गठबंधन छोड़ने का ऐलान किया, और इसके साथ ही सपा के नेता अबू आजमी ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए एमवीए से अलविदा ले लिया। अबू आजमी ने शिवसेना (यूबीटी) के विधान पार्षद मिलिंद नार्वेकर पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि मिलिंद नार्वेकर ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पर एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था, जिसमें शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का यह कथन था कि उन्हें गर्व है उन लोगों पर जिन्होंने मस्जिद को ढहाया। इस पोस्ट के जवाब में समाजवादी पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से अपने संबंधों को खत्म करने का निर्णय लिया। अबू आजमी ने कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने सार्वजनिक रूप से बाबरी मस्जिद को ढहाने की सराहना की और इसे समर्थन दिया, जो समाजवादी पार्टी के सिद्धांतों के खिलाफ था। अबू आजमी ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से बातचीत कर रहे हैं। उनका कहना था कि शिवसेना (यूबीटी) के इस प्रकार के बयानों से समाजवादी पार्टी को असहमति है, और यही वजह है कि उन्होंने महाविकास अघाड़ी छोड़ने का फैसला किया। समाजवादी पार्टी के इस कदम ने महाविकास अघाड़ी में दरार को और गहरा कर दिया है। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब विपक्षी दलों ने ईवीएम के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए विधायक पद की शपथ न लेने का निर्णय लिया। अबू आजमी की इस घोषणा ने गठबंधन को एक और झटका दिया है, और शिवसेना (यूबीटी) को इस मुद्दे पर सफाई देनी पड़ सकती है। समाजवादी पार्टी का यह कदम सत्ता के समीकरणों को प्रभावित कर सकता है, और अब देखने वाली बात यह होगी कि यह राजनीतिक बदलाव महाराष्ट्र की राजनीति पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं।