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महाराष्ट्र में पुलिस तबादलों पर रोक समेत कई मामलों से जाहिर है कि एनसीपी के तौर तरीकों को लेकर शिवसेना में असंतोष चरम पर है

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पुलिसकर्मियों के तबादले महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को परेशान कर रहे हैं. महाराष्ट्र के गृह विभाग ने 20 अप्रैल को 39 आईपीएस अधिकारियों के तबादले की घोषणा की थी, लेकिन अगले दिन उनमें से पांच आईपीएस अधिकारियों के तबादलों को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने रोक दिया. इसके पीछे कारण था कि शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्ठ नेता और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई और ठाणे क्षेत्र में पांच अधिकारियों के फेरबदल पर ठाकरे से अपनी नाराजगी जाहिर की थी. शिंदे जो ठाणे से हैं, उनके मुताबिक एनसीपी के दिलीप वलसे पाटिल के नेतृत्व वाले महाराष्ट्र गृह मंत्रालय ने पांच अधिकारियों के तबादले को लेकर उनसे बात नहीं की थी. इस मामले पर उद्धव की त्वरित कार्रवाई ने शिवसेना और एनसीपी के बीच पड़ रही दरार को उजागर कर दिया है.

पांच अधिकारी राजेंद्र माने (वर्तमान में डीसीपी, राज्य खुफिया विभाग का मुंबई के अतिरिक्त सीपी, ठाणे के तौर पर), महेश पाटिल (डीसीपी, अपराध, मीरा रोड-वसई का मुंबई यातायात विभाग के अतिरिक्त सीपी के रूप में), संजय जाधव (एसपी, हाईवे पेट्रोल, पुणे का अतिरिक्त सीपी, ठाणे), पंजाबराव उगाले (एसपी, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, ठाणे का अतिरिक्त सीपी, स्थानीय शस्त्र प्रभाग, मुंबई), और दत्तात्रेय शिंदे (एसपी, पालघर का मुंबई के प्रोटेक्शन एंड सिक्योरिटी के एडिशनल सीपी) के तौर पर तबादले पर रोक लगा दी गई.

एनसीपी निशाने पर

इस मामले से एक बार फिर यह बात सामने आई कि एमवीए गठबंधन के घटक दलों के बीच तालमेल का अभाव है. पहले भी शिवसेना के कई नेताओं द्वारा एनसीपी के कामकाज के तरीके पर असंतोष व्यक्त किया जा चुका है. जिनके पास वित्त और गृह विभाग जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो हैं. शिवसेना के वरिष्ठ नेता गजानन कीर्तिकर ने हाल ही में कहा था कि एमवीए सरकार का नेतृत्व भले ही सेना प्रमुख कर रहे हैं लेकिन असली फायदा एनसीपी उठा रही है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री अनंत गीते ने कहा था कि उद्धव ने शरद पवार जैसे “अविश्वसनीय” व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई. शिवसेना के कई विधायकों ने विकास परियोजनाओं के लिए फंड आवंटित करते समय वित्त मंत्री अजीत पवार (एनसीपी) द्वारा उनकी उपेक्षा किए जाने की शिकायत भी की है.

इसी तरह कांग्रेस नेताओं ने सरकार में मुख्य रूप से एनसीपी द्वारा दरकिनार किए जाने के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने खास तौर से अपर्याप्त सब्सिडी और सरकारी कार्यालयों की बिजली बकाये को – विशेषकर शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे के शहरी विकास विभाग (नगरपालिका निकायों) और एनसीपी मंत्री हसन मुशरिफ के ग्रामीण विकास विभाग (पंचायत कार्यालयों) के – कोयले की कमी और राज्य में बिजली की कमी का प्रमुख जिम्मेदार ठहराया था.

कांग्रेस के 22 विधायकों ने हाल ही में दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात कर उनसे अपनी नाराजगी जाहिर की थी. जिसके बाद नाराज विधायकों को मनाने के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई.

राजनेता-नौकरशाहों की सांठगांठ

एमवीए के घटक दलों, जो पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों द्वारा मारे गए छापे से परेशान हैं, को अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए एक साथ रहना होगा. इसके अलावा उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना द्वारा शुरू किए गए आक्रामक हिंदुत्व अभियान ने आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में उनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए देश में क्षेत्रीय दलों की व्यापक योजना के अलावा अब उन्हें इस नई चुनौती से भी निपटना होगा.

पुलिस अधिकारियों का तबादला राज्य में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है और जिसने कई मौकों पर राजनेता और नौकरशाहों की सांठगांठ को बेनकाब किया है. पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (एनसीपी) मनी लॉन्ड्रिंग और पुलिस तबादलों को प्रभावित करने के आरोप में सलाखों के पीछे है. इसके अलावा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने पुलिसकर्मियों को शराब बार मालिकों से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का आदेश दिया था.

सिंह को चार मामलों में बिल्डरों द्वारा उनपर लगाए गए जबरन वसूली के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. इसी तरह राज्य की पूर्व खुफिया प्रमुख रश्मि शुक्ला पर देवेंद्र फडणवीस (भाजपा) के 2014-2019 के कार्यकाल के दौरान विपक्षी राजनेताओं के फोन को अवैध रूप से टैप करने के लिए मामला दर्ज किया गया है. उन पर फडणवीस को एक गोपनीय पत्र लीक करने का आरोप भी है.

25 अगस्त 2020 को अपने वरिष्ठों को लिखे गए पत्र में उन्होंने पुलिस तबादलों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. फडणवीस ने इसका इस्तेमाल एमवीए पर निशाना साधने के लिए किया. एमवीए सरकार ने तत्कालीन मुख्य सचिव सीताराम कुंटे की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया था. जिसने शुक्ला पर अपने पद का दुरुपयोग करने और अवैध रूप से फोन टैप करने का आरोप लगाया था.

जुलाई 2020 में 10 IPS अधिकारियों के तबादलों ने विवाद पैदा कर दिया था जिसके चलते उद्धव ने इस निर्णय को रद्द कर दिया था. तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने आरोप लगाया था कि यह फैसला सिंह ने लिया था.

शिंदे की शिकायत पर उद्धव की त्वरित कार्रवाई का एक और आयाम है. शिंदे मुंबई के बाहरी इलाके ठाणे शहर के कोपरी-पंचपखाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में अपना चौथा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. 2019 में एमवीए के गठन के समय उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर उठाया गया था. हालांकि बाद में पवार ने उद्धव को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए राजी कर लिया.

शिंदे को उद्धव के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और उन्हें शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग दिया गया. वे इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों को संभालते हैं. मुंबई के उन इंफ्रास्ट्रक्चर को भी उन्होंने ही अंजाम दिया जिन्हें आगामी चुनावों के लिए शिवसेना द्वारा प्रचारित किया जाता है.

‘भविष्य के मुख्यमंत्री’

इस साल की शुरुआत में शिंदे के समर्थकों ने 9 फरवरी को उनके जन्मदिन पर लगाए गए होर्डिंग्स में उन्हें ‘भविष्य के मुख्यमंत्री’ के रूप में पेश किया. जिसने शिवसेना पार्टी में एक नया बवाल पैदा कर दिया. इसके बाद होर्डिंग हटा दिए गए और इस वाक्ये पर शिंदे का कहना था कि उनके कुछ अति उत्साही समर्थकों ने ऐसा किया था.

उद्धव द्वारा शिंदे की उपेक्षा न करने के कई कारणों में से एक यह है कि वे ठाणे के दिवंगत विवादास्पद शिवसेना नेता आनंद दिघे के शिष्य हैं. दीघे ‘दरबार’ आयोजित करते थे जिसमें वे विवादों को सुलझाते थे और सेना कार्यकर्ताओं के बीच इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें ‘धर्मवीर’ कहा जाता था. दिघे को उनके अनुयायियों द्वारा ‘प्रति ठाकरे’ (ठाकरे की कॉपी) भी कहा जाता था, जो सेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे को चिढ़ाने के लिए काफी था और उन्होंने दिघे के काम करने के तरीके पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की थी.

जब दिघे की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई तो उनके अनुयायियों ने ठाणे के उस अस्पताल में तोड़फोड़ की जहां उन्हें भर्ती कराया गया था. क्योंकि उन्हें संदेह था कि उनका ठीक से इलाज नहीं किया गया था.

मराठी में दिघे की बायोपिक ‘धर्मवीर’ 13 मई को रिलीज होने के लिए तैयार है. शुक्रवार को वर्ली के एक होटल में फिल्म के म्यूजिक लॉन्च पर शिंदे अपने गुरू की बायोपिक को लेकर इतने भावुक हो गए कि उन्होंने अभिनेता प्रसाद ओक के पैर छू लिए जो फिल्म में दिघे की भूमिका निभा रहे हैं.

इस बीच शिवसेना में शिंदे का कद बढ़ रहा है जहां ठाकरे परिवार का वर्चस्व है. उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे जो एमवीए सरकार में पर्यावरण मंत्री हैं उन्हें बड़ी राजनीतिक जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा रहा है. इसलिए शिंदे की शिकायत पर उद्धव की त्वरित प्रतिक्रिया का राजनीतिक महत्व है.

उद्धव के नेतृत्व में जमीनी स्तर से जुड़े शिवसेना के कार्यकर्ता सत्ता की राजनीति के अभ्यस्त नहीं हैं. उद्धव को अपनी पार्टी के सभी लोगों को एक साथ जोड़े रखना होगा और आगे की महत्वपूर्ण चुनावी लड़ाइयों में अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए एमवीए को टूटने होने से रोकना होगा.

(लेखक मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार हैं.)

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