पश्चिमी महाराष्ट्र के सांगली जिले की एक अदालत ने 14 साल पुराने एक मामले में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे (case on MNS chief Raj Thackeray) के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. ठाकरे पर केस दर्ज होने के मामले में शिवसेना नेता संजय राउत (Shiv Sena leader Sanjay Raut) ने बयान दिया है. राउत ने कहा कि यह महाराष्ट्र है, जिसके खिलाफ साजिश रची जा रही है. मुझे जानकारी है कि राज्य के बाहर से लोगों को लाया जा रहा है और दंगे की साजिश रची जा रही है. राज्य सरकार और पुलिस इसे संभालने में सक्षम हैं.
राउत ने आगे कहा कि पूरे देश में ऐसे मामले दर्ज हैं. अगर कोई भड़काऊ भाषण देता है, कोई ऐसा कुछ लिखता है तो उसके खिलाफ ऐसी कार्रवाई की जाती है. इसमें कौन सी बड़ी बात है? 2008 में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए राज ठाकरे के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 109 और 117 (अपराध के लिए उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. छह अप्रैल को गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए सांगली जिले के शिराला में न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) ने मुंबई पुलिस आयुक्त को मनसे प्रमुख को गिरफ्तार कर अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया.
It’s Maharashtra, against which a conspiracy is being hatched. I’ve info that people from outside the state are being brought conspiracy for rioting is being hatched. State Govt Police are capable to handle it: Sanjay Raut on MNS calling case against Raj Thackeray a conspiracy pic.twitter.com/gen5MWn0QA
— ANI (@ANI) May 3, 2022
क्या है पूरा मामला?
सहायक लोक अभियोजक ज्योति पाटिल ने बताया कि न्यायाधीश ने राज ठाकरे और एक अन्य मनसे नेता शिरीष पारकर के खिलाफ क्रमशः मुंबई पुलिस आयुक्त व खेरवाड़ी पुलिस थाने के माध्यम से वारंट जारी किया, क्योंकि वे मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में पेश होने में नाकाम रहे थे. पाटिल के मुताबिक, अदालत ने पुलिस को आठ जून से पहले वारंट की तामील करने और दोनों नेताओं को उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया है. 2008 में मनसे कार्यकर्ताओं ने स्थानीय युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता देने की मांग को लेकर हुए एक आंदोलन के सिलसिले में राज ठाकरे की गिरफ्तारी के खिलाफ शिराला में विरोध-प्रदर्शन किया था.
मनसे के एक स्थानीय पदाधिकारी ने दावा किया कि सरकारी नियम के तहत 2012 से पहले के राजनीतिक मामलों को वापस ले लिया जाना चाहिए. हालांकि, उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले को तूल दिया जा रहा है, क्योंकि राज ठाकरे ने मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाया है.