नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना के प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने एक संवाद में वायु सेना के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि एयरफोर्स सिर्फ फाइटर पायलट से नहीं चल सकती और फाइटर विमान के महिमामंडन को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फिल्मों में किसी को हीरो बनाने और किसी को नेगेटिव रोल देने की तरह, फाइटर पायलटों को ज्यादा ग्लोरिफाई किया गया है, जबकि एयरफोर्स में सभी की अपनी भूमिका है और सभी की अहमियत है।
एयरफोर्स चीफ ने एयरो इंडिया के बारे में बात करते हुए बताया कि यह एक बेहतरीन मंच है, जहां भारतीय उद्योग और विदेशी टेक्नोलॉजी का प्रदर्शन होता है। इस कार्यक्रम के जरिए भारतीय वायु सेना को अन्य देशों के एयरक्राफ्ट और वॉरफेयर सिस्टम का एक्सपोजर मिलता है, और यह युवाओं को प्रेरित करता है कि वे सिर्फ डिफेंस फोर्सेज में शामिल होकर नहीं, बल्कि साइंटिस्ट या उद्योगपति बनकर भी देश की सेवा कर सकते हैं।
उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे वायु सेना के 37 पासआउट उम्मीदवारों में से 25 हेलीकॉप्टर स्ट्रीम में गए थे, क्योंकि उस समय हेलीकॉप्टरों की डिमांड थी। हालांकि, कुछ लोग फाइटर पायलट बनने की इच्छा रखते थे, लेकिन बाद में यह साबित हुआ कि हेलीकॉप्टर स्ट्रीम में गए पायलटों ने अधिक डेकोरेशन और अवॉर्ड्स प्राप्त किए, जैसे कि श्रीलंका में आईपीकेएफ ऑपरेशन में उनके योगदान के लिए।
फाइटर स्क्वॉड्रन की घटती संख्या और तेजस की देरी से संबंधित चुनौती पर एयर चीफ मार्शल ने कहा कि यह समस्या लगातार बदलते योजनाओं से हल की जा रही है। उन्होंने बताया कि मशीन की तकनीकी श्रेष्ठता महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे चलाने वाले व्यक्ति की इनोवेटिवनेस और रणनीति भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। वायु सेना की फ्लेक्सिबिलिटी और स्पीड इसकी ताकत है, जो इसे अन्य बलों से अलग बनाती है।