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बेमौसम बारिश से मौसमी फसल संकट में, तरबूज के उत्पादन में कमी आने से किसान परेशान

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रबी मौसम के साथ-साथ खरीफ के दौरान मुख्य फसलों के उत्पादन में गिरावट के कारण किसानों ने मौसमी फसलों पर जोर दिया था. इसका उन्हें लाभ भी मिला. किसानों को अच्छा उत्पादन बेहतर रेट भी मिले. महाराष्ट्र के कई जिलों में किसानों (Farmer) ने बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती की थी. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिल रहा था, लेकिन पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश फिर से किसानों के लिए मुसीबत बन गई है. अनुकूल जलवायु और पानी की उपलब्धता के कारण तरबूज़ (Watermelon) का फलना-फूलना निश्चित था, लेकिन बेमौसम बारिश का पानी खेतो में जमा हो गया. पानी के कारण जमीन गीली होने से तरबूज नष्ट हो रहा है. किसानों के पास उगाए हुए तरबूज को फेंकने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. किसानों का कहना है कि हमने सोचा था कि मुख्य फसलों से हुए नुकसान की भरपाई मौसमी फसलों कर लेंगे, लेकिन बेमौसम बरसात ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

तरबूज एक मौसमी फसल है और रोपाई के दो से ढाई महीने बाद उगती है. निश्चित अवधि होने के कारण किसान इसकी तीन चरणों में खेती करते हैं. गर्मियों के साथ-साथ रमजान, नवरात्रि जैसे त्योहारों में भी तरबूज की काफी डिमांड रहती है. इसी दौरान किसान अपनी फसल काटने की योजना बनाते हैं, लेकिन अब प्रकृति की बेरुखी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. मांग होने के बावजूद तरबूज बाजारों में नहीं आ पा रहा है. फिलहाल तरबुज की कीमत 12-14 रुपए प्रति किलो है, लेकिन उम्मीद के मुताबिक उत्पादन नहीं होने से किसान निराश नजर आ रहे हैं.

बढ़ते तापमान और बारिश से फसले हुई बर्बाद

जलवायु परिवर्तन का असर अब मौसमी फसलों पर भी दिखने लगा है. किसान तरबूज से आय में वृद्धि की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन तरबूज के खेतों पर बेमौसम बारिश का पानी जमा होने से यह बर्बाद हो गया है. पिछले कुछ दिनों से बढ़ते तापमान के कारण जलस्तर में तेजी से गिरावट आ रही है. ये सभी कारण अब तरबूज के उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं.

बाजार में क्या है स्थिति?

बढ़ते गर्मी के साथ बाजार में मांग बढ़ गई है. स्थानीय स्तर पर तरबूज के उत्पादन में गिरावट के कारण किसान परेशानी में हैं. लातूर के फल बाजार में वर्तमान में उस्मानाबाद, बीड और अंबाजोगई से आवक पहुच रही है. औसत दर 14 रुपए प्रति किलो है. इसका फायदा कुछ ही किसानों को हुआ है. फसल कटाई का मौसम अभी बाकी है, लेकिन जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर तरबूज के रेट पर पड़ा है. किसान माली रफी शेख का कहना है कि अगर कुछ दिन में बारिश बंद नहीं हुई तो किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है.

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