गुजरात (Gujarat) के वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh mevani) को मेहसाणा की एक मजिस्ट्रेट कोर्ट (Mehsana Magistrate Court) ने तीन महीने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने जिग्नेश मेवानी पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने जिग्नेश मेवानी समेत कुल 12 लोगों को बिना इजाजत रैली करने के आरोप में दोषी ठहराया है. यह मामला करीब 5 साल पुराना है, इसमें जिग्नेश मेवानी के साथ-साथ रेशमा पटेल और सुबोध परमार को भी दोषी करार दिया है.
दलित नेता एवं गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के लगभग दो सप्ताह बाद मंगलवार को गुजरात पहुंचे थे, जहां उन्होंने राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार पर निशाना साधते हुए उसे निकम्मा बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार ने उस वक्त कुछ नहीं किया, जब राज्य के एक विधायक का अपहरण कर लिया गया और यहां से ले जाया गया था. अहमदाबाद पहुंचने के तुरंत बाद मेवानी ने एक सभा को संबोधित किया था.
इन मांगों को लेकर किया ‘गुजरात बंद’ का आह्वान
मेवानी ने उना तहसील में दलितों के खिलाफ दर्ज मामले (जुलाई 2016 में कुछ दलितों पर हमले के बाद विरोध प्रदर्शन को लेकर दर्ज), राज्य के अन्य आंदोलनकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस नहीं लेने और पुलिसकर्मियों के लिए ग्रेड-पे एवं अन्य विरोध प्रदर्शन करने वाले समूहों की मांग सरकार द्वारा पूरी नहीं किये जाने पर एक जून को ‘गुजरात बंद’ का आह्वान करने की चेतावनी भी दी थी.
उन्होंने कहा, मैं गुजरात सरकार से कहना चाहता हूं कि आप इतने ‘निकम्मे’ हैं कि आप तब कुछ नहीं कर सके, जब असम पुलिस गुजरात के गौरव को रौंदने आयी थी. आपको इसके लिए शर्म आनी चाहिए. निर्दलीय विधायक मेवानी ने कहा, असम पुलिस द्वारा गुजरात के एक विधायक का अपहरण करना और उसे असम ले जाना गुजरात के 6.5 करोड़ लोगों का अपमान है. उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बारपेटा अदालत ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में जमानत देने के अपने आदेश में की गई टिप्पणियों में हद पार कर दी और इसने पुलिस बल तथा असम सरकार का मनोबल गिराया.