इस साल गेहूं की मांग बढ़ती ही जा रही है. कटाई सीजन खत्म हो चुका है, लेकिन सरकारी खरीद केंद्र वीरान पड़े हैं. किसान गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचने की बजाय खुले बाजार में व्यापारियों को बिक्री कर रहे हैं. एक्सपोर्ट के लिए मांग बढ़ने के बाद से ही व्यापारी किसानों (Farmers) को अच्छी कीमत दे रहे हैं. एमएसपी से अधिक दाम मिलने के कारण किसान खरीद केंद्र पर जाने की बजाय व्यापारियों को गेहूं बेचकर लाभ कमा रहे हैं. कटाई सीजन में हर साल गेहूं की कीमतों में कमी आ जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. हर बार से उलट दाम बढ़ गए हैं और बढ़ते ही जा रहे हैं. कुछ किसान भविष्य में कीमतों में और बढ़ोतरी की उम्मीद में गेहूं का स्टॉक भी कर रहे हैं.
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण गेहूं की सप्लाई प्रभावित हुई है. ये दोनों देश गेहूं के बड़े एक्सपोर्टर हैं, लेकिन युद्ध में फंसे होने के कारण वह मांग पूरी करने की स्थिति में नहीं हैं. दुनिया के कई देश इस कमी को पूरा करने के लिए भारत की तरफ रुख कर रहे हैं. इसका सबसे अधिक फायदा मध्य प्रदेश के किसानों को मिल रहा है. गुणवत्ता के मामले में सर्वोत्तम होने के कारण पहले भी यहां के गेहूं की मांग रहती थी, जो अब बढ़ गई है.
खुले बाजार में बिक्री पिछले साल के मुकाबले 7 गुना ज्याद
इसका असर सरकारी खरीद पर साफ देखा जा सकता है. पिछले साल मध्य प्रदेश में एमएसपी पर अप्रैल के महीने में कुल 44.60 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी. इस बार यह घटकर 34.32 लाख मीट्रिक टन रह गई है. किसान सिर्फ उन्हीं किस्मों की सरकारी केंद्रों पर बिक्री कर रहे हैं, जिसकी बाजार में कीमत एमएसपी से कम है. कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसकी बिक्री किसान 2500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर कर रहे हैं जबकि एमएसपी 2015 रुपए है.
बढ़ी हुई कीमतों का ही नतीजा है कि इस बार खुले बाजार में खरीद पिछले साल के मुकाबले कई गुना अधिक हुई है. 28 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल किसानों ने मात्र 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही प्राइवेट मंडी में बेची थी. इस बार यह आंकड़ा 28.79 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है. खुले में बिक्री से किसानों को फायदा हो रहा है और सरकार को भी अपने खजाने से कम खर्च करना पड़ रहा है.
राज्य सरकार के पास अभी सरप्लस गेहूं का भंडार है. यहीं कारण है कि सरकारी एजेंसियां बाजार भाव पर गेहूं खरीदने की योजना पर काम नहीं कर रही हैं. वर्तमान में राज्य सरकार के पास 100 लाख मीट्रक टन गेहूं का स्टॉक है, जो जरूरत के 30 लाख मीट्रिक टन से तीन गुना अधिक है. बढ़ी हुई कीमतों का लाभ राज्य सरकार भी उठा रही है. वह सरप्लस स्टॉक को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच रही है.