पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में टीएमसी ( TMC ) और ममता बनर्जी की जीत की पहली सालगिरह को भारतीय जनता पार्टी की बंगाल इकाई लोकतंत्र बचाओ दिवस का रूप में पालन कर रही है. इस दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों में ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ आंदोलन किए जाएंगे. दूसरी ओर, बीजेपी (West Bengal BJP) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने सोमवार को ममता बनर्जी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली वार्षिकी पर चुनावी हिंसा और चुनाव के बाद हिंसा (West Bengal Post Poll Violence) में मारे गए लोगों को गंगा घाट पर तर्पण अर्पित किया. बता दें कि चुनाव परिणाम के ऐलान होने के दिन ही बंगाल बीजेपी के कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की हत्या कर दी गई थी. फिलहाल सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है और हाईकोर्ट में भी मामला चल रहा है.
चुनाव परिणाम की पहली वार्षिकी के अवसर पर बंगाल बीजेपी की ओर से गणतंत्र प्रतिष्ठा संकल्प महाजुलूस आज निकाला जाएगा. यह जुलूस दोपर तीन बजे सुबोध मल्लिक स्क्वायर से निकल कर धर्मतल्ला तक जाएगा. इस महाजुलूस में दिलीप घोष, सुकांत मजूमदार, शुभेंदु अधिकारी जैसे पार्टी के आला नेता शामिल रहेंगे.
दिलीप घोष ने कहा- पिछला एक साल लोकतंत्र के इतिहास का है कलंक भरा अध्याय
दिलीप घोष ने सोमवार को एक बार फिर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि विधानसभा चुनाव के समय कई ऐसे लोग थे जिन्होंने 500 रुपये के लालच में तृणमूल कांग्रेस को वोट दिया और आज वही साधारण लोग सबसे ज्यादा प्रताड़ित हैं. पिछले साल दो मई को ही विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे. दिलीप घोष ने ममता बनर्जी की तीसरी सरकार की पहली वर्ष पूर्ति पर कहा कि विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद पूरे राज्य में भाजपा के 60 कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारा गया था. उन्होंने कहा कि बंगाल में पिछला एक साल कलंक का अध्याय रहा है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग जीत के बाद यह कहते नहीं थक रहे थे कि लोगों ने जीत दिलाई है आज उन्हीं की वजह से साधारण लोग हाहाकार कर रहे हैं, जो थोड़े बहुत रुपये के लालच में तृणमूल को वोट दिए थे वे सबसे अधिक पीड़ित, अपमानित और अत्याचारित हैं. पिछला एक साल पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र के इतिहास का सबसे कलंक भरा अध्याय रहा है.
चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रपति और अमित शाह से मिला था प्रतिनिधिमंडल
पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा को लेकर लॉयर्स फॉर जस्टिस फोरम के प्रतिनिधिमंडल ने भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. दिल्ली में कैंडल मार्च भी निकाला गया था और बंगाल में चुनाव के बाद हिंसा को लेकर न्याय की फरियाद करते हुए राज्य में धारा 355 लगाने की मांग की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में बंगाल चुनावी हिंसा के शिकार पीड़ित भी थे. इन लोगों का आरोप है कि चुनाव के बाद लगातार बीजेपी और विरोधी दल के कार्यकर्ताओं पर हमले हो रहे हैं. पुलिस और ममता बनर्जी की सरकार मूक दर्शक बनी हुई है.