बिहार के राजनीतिक हलकों में हाल ही में एक नया विवाद छिड़ा है, जब जन सुराज के नायक प्रशांत किशोर (पीके) बिहार लोक सेवा आयोग (Bihar Public Service Commission) के परीक्षार्थियों के हक में उतरे। इससे बिहार के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में हलचल मच गई है। जहां एक ओर प्रशांत किशोर के इस कदम को समर्थन मिल रहा है, वहीं विपक्ष और सत्ताधारी दलों ने उन पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी है। इस बीच, बिहार के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पीके पर हमला करते हुए एक नया राजनीतिक संघर्ष खड़ा कर दिया है।
तेजस्वी यादव का बीजेपी कनेक्शन पर आरोप
तेजस्वी यादव ने हाल ही में एक बार फिर प्रशांत किशोर को बीजेपी की ‘बी’ टीम करार दिया। उन्होंने यह आरोप पहले भी लगाया था, लेकिन इस बार वह इसे साबित करने के लिए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे। तेजस्वी यादव ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल के एक बयान को उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर प्रशांत किशोर बीजेपी की ‘बी’ टीम हैं, तो तेजस्वी यादव को इससे परेशानी क्यों हो रही है? तेजस्वी यादव ने इस बयान को सबूत के तौर पर पेश किया और कहा कि बीजेपी ने खुद स्वीकार किया है कि प्रशांत किशोर केवल ‘बी’ टीम नहीं, बल्कि ‘ए’ और ‘सी’ टीम भी हैं।
राजद ने इस बयान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी साझा किया, जिसमें उन्होंने बीजेपी और प्रशांत किशोर के बीच गहरे संबंधों की ओर इशारा किया। इस पर तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं है, और पीके का बीजेपी से गहरा संबंध सिद्ध हो चुका है।
जन सुराज और राजनीतिक जंग
प्रशांत किशोर की संस्था ‘जन सुराज’ और उनकी सक्रियता बिहार में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव का संकेत दे रही है। जहां एक ओर उनके समर्थक उनकी नीतियों को सुधारात्मक मानते हैं, वहीं विपक्ष और सत्ताधारी दलों ने उन्हें बीजेपी के साथ गठजोड़ के आरोपों से घेर लिया है। तेजस्वी यादव ने इस आरोप को और तेज करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर की नीतियां और बयान बीजेपी के एजेंडे के अनुरूप ही हैं।
हालांकि, प्रशांत किशोर ने खुद इस आरोप पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है, लेकिन उनके फैसले और बयानों से यह साफ दिखता है कि वह बिहार में बदलाव लाने के लिए गंभीर हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप बिहार के चुनावी माहौल को और भी गर्मा सकते हैं, जहां हर दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सक्रिय है।
निष्कर्ष
प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव के बीच बढ़ती राजनीतिक तकरार अब राज्य की राजनीति को नई दिशा में मोड़ने वाली है। भाजपा के साथ उनके रिश्तों को लेकर उठ रहे सवाल और तेजस्वी यादव द्वारा लगाए जा रहे आरोप आने वाले समय में बिहार की राजनीति के लिए एक नया मोर्चा खोल सकते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस आरोप-प्रत्यारोप की जंग में आखिरकार जनता का समर्थन किसे मिलता है।