उत्तराखंड (Uttarakhand) की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने नौकरशाही को सख्त संदेश दिया है. राज्य सरकार ने राज्य के तीन भारतीय वन सेवा यानी आईएफएस (IFS) अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की है. राज्य में वन विभाग में पहली बार इस तरह की कार्रवाई की गई है और इसमें वन सेवा के दो अफसरों को सस्पेंड किया है. राज्य सरकार ने एपीसीसीएफ जेएस सुहाग और आईएफएस किशन चंद को सस्पेंड किया है और कॉर्बेट के निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया है. उनकी जगह सीसीएफ कुमाऊं को एडिशनल चार्ज दिया गया है.
राज्य सरकार की कार्रवाई के बाद राज्य की नौकरशाही में खलबली मची हुई है और सभी राज्य सरकार के फैसले पर चर्चा कर रहे हैं. राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कार्यभार संभालते ही विभाग में भ्रष्टाचार के सभी मामलों और अफसरों की लिस्ट तैयार की थी और इस लिस्ट को उन्होंने सीएम कार्यालय भेजा था. वन मंत्री के पास अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार नहीं थे. जिसके बाद उन्होंने अफसरों की फाइल में संस्तुति कर उसने सीएमओ को भेजा था. वन मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक एपीसीसीएफ जेएस सुहाग और डीएफओ किशनचंद को निलंबित कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक आईएफएस अफसर किशनचंद पर सरकारी धन के दुरुपयोग, अवैध निर्माण और पाखरो में टाइगर सफारी के निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
विजिलेंस जांच में मिले थे दोषी
जानकारी के मुताबिक सुहाग डीएफओ कालागढ़ और वन्यजीव वार्डन के रूप में थे और उनके खिलाफ विजिलेंस जांच भी हुई थी और इसमें उन्हें भी दोषी पाया गया था. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने उसी के आधार पर उनके खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. इसके साथ ही कॉर्बेट के डायरेक्टर राहुल को भी हटा दिया गया है और इसके लिए राज्य के प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने हटाने का आदेश दिया है.
वन मंत्री बोले जारी रहेगी मुहिम
राज्य के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि विभाग में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और विभाग में जितने भ्रष्ट अफसर हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि ये मुहिम जारी रहेगी. उनियाल ने मीडिया को बताया कि आईएफएस किशनचंद और जेएस सुहाग को निलंबित कर दिया गया है और कॉर्बेट के डायरेक्टर राहुल को हटाकर मुख्यालय अटैच कर दिया गया है.