पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की गद्दी से हटने के बाद इमरान खान (Imran Khan) फिर चर्चा में है. चर्चा की वजह है उनकी ड्रीम यूनिवर्सिटी (Dream University), जिसका नाम है अल कादिर विश्वविद्यालय (Al Qadir University). हैरानी की बात है कि इमरान की इस यूनिवर्सिटी में मात्र 37 स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं. पाकिस्तान के पंजाब स्थित इस यूनिवर्सिटी की शुरुआत इमरान खान के कार्यकाल में 2019 में हुई थी. इसे ट्रस्ट के जरिए चलाया जा रहा है जिसमें हर साल करोड़ों रुपए डोनेशन के तौर पर आ रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह भी है कि जिसे यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया गया है वहां सिर्फ एक विषय की पढ़ाई कराई जा रही है और इसकी मान्यता को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है.
इमरान खान की ड्रीम यूनिवर्सिटी कैसी है, इसे कौन चला रहा है और यूनिवर्सिटी की मान्यता को लेकर क्या पेंच फंसा है और यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए कितना डोनेशन मिल रहा है? 5 पॉइंट में जानिए इन सवालों के जवाब
मान्यता मिलनी बाकी है: अल कादिर विश्वविद्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, इसे एक ट्रस्ट के जरिए चलाया जा रहा है. इसे भले ही यूनिवर्सिटी का नाम दिया गया है, लेकिन अभी भी इसे मान्यता नहीं मिली है. फिलहाल इसे पंजाब हायर स्टडी डिपार्टमेंट की ओर से मान्यता मिलनी बाकी है. यूनिवर्सिटी के मुताबिक, इसे कॉलेज का दर्जा दिलाने के लिए लाहौर की गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी में एप्लिकेशन दी गई है.
यूनिवर्सिटी में 50 को ही मिलेगा एडमिशन:इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ एक ही मैनेजमेंट कोर्स (BS (Hons)) चलाया जा रहा है.पाकिस्तानी मीडिया द न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां के मैनेजमेंट कोर्स में केवल 50 स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं. वर्तमान में इसमें केवल 37 छात्र ही पढ़ाई कर रहे हैं. यूनिवर्सिटी के ज्यादातर खर्चे डोनेशन के जरिए मिलने वाली रकम से वहन किए जाते हैं. स्टूडेंट्स से ट्यूशन फीस ली जाती है.
डोनेशन मिली 18 करोड़ पर खर्च 86 लाख रुपये: इस यूनिवर्सिटी को रियल एस्टेट कारोबारी द्वारा दान की गई जमीन पर बनाया गया है. हर साल इसे करोड़ों रुपए का डोनेशन मिलता है. सिर्फ 2021 में ही इस यूनिवर्सिटी को 18 करोड़ रुपये की डोनेशन राशि मिली है. जबकि तमाम खर्च और टीचर्स, स्टाफ व वर्कर्स की सैलरी को मिलाकर कुल लागत 86 लाख रुपये ही है.
ट्रस्ट में भी करीबी लोग शामिल: पहले विश्वविद्यालय के ट्रस्ट में इमरान खान, उनकी पत्नी बुशरा बीबी, जुल्फिकार अब्बास बुखारी और जहीर उद दीन बाबर अवान थे। हालांकि बाद में इनमें बदलाव हुआ. बुखारी और बाबर अवान को ट्रस्ट से हटा दिया गया और उनकी जगह आरिफ नजीर बट और फरहत शहजादी को शामिल किया गया. जब फरहत शहजादी को ट्रस्ट में शामिल किया गया तो हो-हल्ला भी मचा था क्योंकि वह इमरान की पत्नी बुशरा बीबी की करीबी हैं.
हर साल ट्रस्ट के ऑडिट का दावा: यूनिवर्सिटी ने दावा किया है यहां हर चीज को लेकर पारदर्शिता बरती जाती है. हर साल ट्रस्ट को जितना भी पैसा मिलता है बकायदा उसका ऑडिट भी किया जाता है.
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