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पटनाः दिल्ली चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला, केजरीवाल और भाजपा के बीच तनाव बढ़ा

by Suyash Sukla

दिल्ली में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। गुरुवार को चुनाव आयोग ने सभी दलों को महिलाओं पर की गई टिप्पणियों को लेकर सावधानी बरतने की चेतावनी दी। इस तनावपूर्ण स्थिति में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा नेता प्रवेश वर्मा के घर छापेमारी की मांग लेकर आयोग का रुख किया, वहीं भाजपा के खिलाफ बिहार और यूपी का नाम लेकर केजरीवाल ने कई बयान दिए, जो उनकी चिंता को स्पष्ट करते हैं।

केजरीवाल की टिप्पणी से गर्माया माहौल

यह कम से कम दूसरी बार है जब अरविंद केजरीवाल ने बिहार और यूपी का नाम लेकर विवाद खड़ा किया है। 2019 में भी उनके एक बयान ने बवाल मचाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार जैसे राज्यों से लोग 500 रुपये का टिकट लेकर दिल्ली आते हैं और यहां मुफ्त इलाज कराते हैं। इस बयान पर भाजपा और जेडीयू ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। अब, केजरीवाल भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं कि वे बिहार और यूपी से लोगों को दिल्ली लाकर वोट बैंक बना रहे हैं। उनका कहना है कि दिल्ली में रहने वाले लोग इस बात को समझेंगे और वे भाजपा के खिलाफ अपनी धारणा बनाएंगे।

केजरीवाल के बयान का प्रभाव

केजरीवाल के बयान से दिल्ली में राजनीतिक तनाव और चिंता बढ़ी हुई है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर दिल्ली में एनआरसी लागू हुआ तो दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी को शहर छोड़ना पड़ेगा। ऐसे बयानों से साफ है कि केजरीवाल भाजपा पर चुनावी रणनीति के तहत आरोप लगा रहे हैं, जो उनकी बेचैनी को दर्शाता है।

भा.ज.पा. की बौखलाहट और मुद्दों की कमी

भा.ज.पा. भी इस चुनाव में उलझी हुई दिख रही है। केजरीवाल के छोटे-छोटे मुद्दों पर उलझने से यह प्रतीत हो रहा है कि भाजपा के पास बड़ा मुद्दा नहीं है। भाजपा का सीएम चेहरा घोषित नहीं है और वह लगातार 10 साल से सत्ता से बाहर है। उसके पास दिल्ली में अपनी उपलब्धियों के अलावा और कुछ बताने को नहीं है। इस बीच, भाजपा के लिए यह समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है कि नरेंद्र मोदी का संसदीय चुनावों में जादू विधानसभा चुनावों में उतना प्रभावी नहीं रहता, और परिदृश्य पूरी तरह बदल जाता है।

निष्कर्ष

दिल्ली चुनाव में अब तक की स्थिति यह बताती है कि दोनों प्रमुख दल, भाजपा और आम आदमी पार्टी, दोनों ही चुनावी रणनीतियों को लेकर आश्वस्त नहीं हैं। दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला आने वाले समय में और भी तेज हो सकता है, और दिल्ली की जनता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है।