रॉकेट लैब (Rocket Lab) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीटर बेक (Peter Beck) का कहना है कि सेटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने के बाद पृथ्वी की ओर लौटते रॉकेट (Rocket) को हेलीकॉप्टर (Helicpoter) से पकड़ने का काम बेहद जटिल है. उन्होंने इस काम की तुलना सुपरसोनिक बैले से की है. रॉकेट लैब ने मंगलवार को अपने छोटे इलेक्ट्रॉन रॉकेटों को फिर से इस्तेमाल करने योग्य बनाने की कोशिश की. इस मुहिम के तहत सेटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किए गए एक रॉकेट को हेलीकॉप्टर की मदद से पकड़ने की कोशिश की गई, लेकिन उसे पकड़ते ही हेलीकॉप्टर के चालक दल के सदस्यों को सुरक्षा कारणों के चलते उसे छोड़ना पड़ा और रॉकेट प्रशांत महासागर में गिर गया, जहां से उसे एक नाव की मदद से बाहर लाया गया.
कैलिफोर्निया स्थित कंपनी नियमित रूप से उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए न्यूजीलैंड के दूरस्थ माहिया प्रायद्वीप से 18-मीटर (59-फुट) के रॉकेट प्रक्षेपित करती है. एक इलेक्ट्रॉन रॉकेट को मंगलवार की सुबह प्रक्षेपित किया गया और मुख्य बूस्टर सेक्शन के पृथ्वी पर गिरने से पहले उसने 34 सेटेलाइट को कक्षा में भेजा. एक पैराशूट द्वारा उसके नीचे आने की गति को लगभग 10 मीटर (33 फीट) प्रति सेकंड तक धीमा कर दिया गया था. इसके बाद हेलीकॉप्टर के चालक दल के सदस्यों ने रॉकेट को पैराशूट के जरिए पकड़ा, लेकिन हेलीकॉप्टर पर कुल भार, परीक्षण तथा सिमुलेशन के मापदंडों से अधिक हो गया और इसलिए उन्होंने उसे गिराने का फैसला किया.
पीटर बेक ने ट्वीट किया वीडियो
This is what it looked like from the front seats. pic.twitter.com/AwZfuWjwQD
— Peter Beck (@Peter_J_Beck) May 3, 2022
पीटर बेक ने अभियान को बताया सफल
पीटर बेक ने इस अभियान को सफल करार दिया. उन्होंने कहा कि लगभग सब कुछ योजना के अनुसार हुआ और अप्रत्याशित भार केवल एक छोटी सी समस्या है, जिसे जल्द ही ठीक कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि ये एक जटिल काम है और उन्होंने इसकी तुलना सुपरसोनिक बैले से की. एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने फिर से प्रयोग किए जाने वाला पहला कक्षीय रॉकेट ‘फाल्कन 9’ बनाया है.
गौरतलब है कि रॉकेट लैब ने जब पहली बार साल 2017 में कम लागत वाले इलेक्ट्रॉन रॉकेट को लॉन्च करना शुरू किया तो तब रॉकेट को फिर से इस्तेमाल कर सकने वाला नहीं बनाया गया था. लेकिन बाद में जैसे-जैसे समय बीतता गया कंपनी के अधिकारियों ने अंतरिक्ष तक अपनी पहुंच की लागत को कम करने के लिए ये तरीका खोजा. वहीं अब रॉकेट लैब कंपनी एक बड़े लॉन्च व्हीकल पर काम कर रही है, जिसे न्यूट्रॉन के नाम से जाना जाता है.
(इनपुट- भाषा के साथ)