भारतीय पर्वतारोही नारायण अय्यर की आज सुबह दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा पर्वत पर चढ़ते समय मौत हो गया. माउंट कंचनजंगा पर वसंत ऋतु की यह पहली दुर्घटना है. यह जानकारी चढ़ाई एजेंसी पायनियर एडवेंचर ने दी है. महाराष्ट्र के रहने वाले नारायणन अय्यर ने 8,200 मीटर की ऊंचाई पर अंतिम सांस ली. पायनियर एडवेंचर के अध्यक्ष पासंग शेरपा ने कहा कि घटना तब हुई जब 52 वर्षीय पर्वतारोही ने बीमार पड़ने के बाद भी पहाड़ से उतरने से इनकार कर दिया. उनके चढ़ाई गाइड ने पर्वतारोही को बार-बार उतरने के लिए कहा था, लेकिन अय्यर ने उनकी बात का पालन करने से इनकार कर दिया. वहीं, अन्य पर्वतारोही अब कैंप IV से बेस कैंप में नीचे उतर रहे हैं.
इससे पहले साल 2019 में कंचनजंगा पर दो भारतीय पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी. 48 वर्षीय बिप्लब बैद्य और 46 वर्षीय कुंतल करर की कंचनजुगा पर कैंप IV के पास करीब 8,000 मीटर की ऊंचाई पर हाइपोथर्मिया से मौत हो गई थी. बेस कैंप में तैनात नेपाल के पर्यटन मंत्रालय की एक संपर्क अधिकारी मीरा आचार्य ने बताया था कि बैद्य पहाड़ पर चढ़ने में कामयाब रहे थे, लेकिन कुंतल ऊपर जाते समय बीमार पड़ गए और दोनों की मृत्यु हो गई.
आपको बता दें कि अभी हाल ही में नेपाल सरकार ने 70 देशों की 155 महिलाओं सहित 740 पर्वतारोहियों को नेपाल के पहाड़ों पर चढ़ने की अनुमति दी है, जिसमें सबसे अधिक संख्या में आवेदक अमेरिका से आए हैं. पर्यटन विभाग का कहना है कि पर्वतारोहियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या यूके से है, इसके बाद 55 भारत से हैं. छह महाद्वीपों के 585 पुरुषों और 155 महिलाओं ने 8,848 मीटर पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट सहित नेपाली चोटियों पर चढ़ने की अनुमति हासिल कर ली है. इसमें कहा गया है कि रूस के 25 और यूक्रेन के एक पर्वतारोही को भी पहाड़ों पर चढ़ने की अनुमति मिली है.
नेपाल के पर्यटन विभाग का कहना है कि पर्वतारोहियों की सबसे बड़ी संख्या अमेरिका से है, जिसमें कुल 117 पर्वतारोही हैं. इनमें 94 पुरुष और 23 महिलाएं शामिल हैं. इसी तरह, नेपाल के उत्तरी पड़ोसी चीन के 17 लोग नेपाल की पर्वत चोटियों पर प्रयास करेंगे. सरकार ने पर्वतारोहियों से 395 मिलियन रुपए से अधिक की रॉयल्टी एकत्र की है, जिन्हें माउंट एवरेस्ट सहित 21 चोटियों पर चढ़ने की अनुमति दी गई है. पर्वतारोहियों के लिए खोली गई अन्य चोटियों में अमदाबलम, अन्नपूर्णा I और IV, बरुंटसे, भीमडांग री, धौलागिरी, गंगापूर्णा, हिमलुंग, कंचनजंगा, खांगचुंग, ल्होत्से, मकालू, मानसलु, मुकोट, नोरबू खांग, नुप्त्से, फु कांग, पोखर कांग, सौला, थापा पीक और उर्कनमांग हैं. माउंट एवरेस्ट को फतह करने के लिए वसंत ऋतु को सबसे अच्छा मौसम माना जाता है. 32 टीमों के कुल 262 व्यक्तियों ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के लिए आवेदन किया है.