City Headlines

Home Uncategorized नागा साधुओं के 17 श्रृंगार: शिव भक्ति का प्रतीक और साधना का मार्ग

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार: शिव भक्ति का प्रतीक और साधना का मार्ग

by Suyash Shukla

नागा साधुओं का जीवन बहुत रहस्यमय और अद्वितीय होता है। वे शारीरिक सुखों और सांसारिक मोह-माया से परे होते हुए भगवान शिव की भक्ति में पूरी तरह से समर्पित रहते हैं। जबकि वे आमतौर पर निर्वस्त्र रहते हैं, फिर भी उनका श्रृंगार बहुत महत्वपूर्ण होता है। नागा साधुओं का 17 श्रृंगार खासतौर पर शिव भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं। यह श्रृंगार उनके जीवन की साधना और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।

नागा साधुओं के 17 श्रृंगार में निम्नलिखित शामिल हैं:

1.लंगोट: यह साधु भगवा रंग का लंगोट पहनते हैं, जो उनके निर्वसन जीवन का प्रतीक है। इसमें चांदी का टोप जुड़ा होता है।

2. भभूत (राख): भगवान शिव की तरह, जो श्मशान की भस्म लगाते हैं, नागा साधु भी अपने शरीर पर भभूत या राख लगाते हैं, यह उनके तपस्विता और शिव भक्ति का प्रतीक है।

3.तिलक: साधु हमेशा अपने माथे पर लंबा तिलक लगाते हैं, जो शिव भक्ति का संकेत है। यह तिलक शरीर और आत्मा के एकत्व को दर्शाता है।

4.काजल: वे अपनी आंखों में काजल या सूरमा लगाते हैं, जो सौंदर्य और दृष्टि की शक्ति को बढ़ाता है।

5. डूलों की माला: साधु अपनी कमर में डूलों की माला पहनते हैं, जो उनके आध्यात्मिक जीवन और भक्ति का हिस्सा है।

6. पैरों में कड़े: साधु अपने पैरों में लोहे या चांदी के कड़े पहनते हैं, जो उनकी साधना और धर्म के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

7. चंदन: चंदन का लेप भगवान शिव की उपासना का प्रतीक है, और यह ठंडक, शीतलता का प्रतीक माना जाता है। नागा साधु भी अपने शरीर पर चंदन का तिलक करते हैं।

8. रुद्राक्ष की माला: साधु अक्सर रुद्राक्ष की माला पहनते हैं, जो शिव के प्रिय मणि होते हैं। यह माला साधना और ध्यान के लिए प्रयोग की जाती है।

इन श्रृंगारों का मुख्य उद्देश्य शिव भक्ति को समर्पित रहना और साधना के मार्ग पर निरंतर अग्रसर होना है। ये श्रृंगार केवल शारीरिक अलंकरण नहीं होते, बल्कि इनका आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व भी होता है।