इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में कहा है कि धार्मिक भावनाओं के जरिए कोर्ट को प्रभावित करना न्याय के लिए अच्छा नहीं है। कोर्ट ने एक अवमानना याचिका को खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने इस मामले में पैरवी कर रहे अधिवक्ता के व्यवहार पर भी असंतोष जताया है। यह आदेश जस्टिस सरल श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने दिया है।
दरअसल, अवमानना याचिका में कहा गया था कि हाईकोर्ट के 2013 में दिए गए आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने इस आदेश से प्रदेश में मस्जिदों व मंदिरों में लाउडस्पीकरों के प्रयोग व उसकी ध्वनि सीमा को लेकर एक नीति बनाने का निर्देश दिया था। याची का कहना था कि सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया है।
आदेश में बदायूं जिले के काकोड़ा थाने में स्थित दो मस्जिदों में एक निश्चित ध्वनि सीमा में लाउडस्पीकर लगाने की छूट दी गई थी। उसमें लाउडस्पीकर के उपयोग के संबंध में नीति तैयार करने को कहा गया था। बता दें कि याची की ओर से इसे आदेश का उल्लंघन बताया गया था।