City Headlines

Home Uncategorized धान, गेहूं की खेती को डिस्करेज करेगी मध्य प्रदेश सरकार, अब गैर एमएसपी फसलों पर होगा फोकस

धान, गेहूं की खेती को डिस्करेज करेगी मध्य प्रदेश सरकार, अब गैर एमएसपी फसलों पर होगा फोकस

by

मध्य प्रदेश सरकार ने खेती-किसानी को लेकर बड़े बदलाव की कोशिश शुरू कर दी है. अब सरकार फसल विविधीकरण (Crop Diversification) पर फोकस करेगी. ताकि पर्यावरण पर खेती का प्रभाव कम हो और किसानों को रसायनिक उर्वरकों पर कम खर्च करना पड़े. राज्य सरकार ने गेहूं और धान को डिस्करेज करके गैर एमएसपी (MSP) फसलों को बढ़ावा देगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मन्त्रिपरिषद ने फसल विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन योजना लागू करने का निर्णय लिया है. सरकार ने कहा है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद में कमी आएगी और दलहन-तिलहन के आयात पर निर्भरता कम होगी.

राज्य सरकार ने कहा है कि गेहूं और धान के रकबे तथा उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि होने,समर्थन मूल्य पर खरीद के खर्च में बढ़ोतरी और इस फसलों के कारण प्रदेश में पर्यावरण असंतुलन की स्थिति बनी है. इसे ठीक करने के लिए मध्य प्रदेश फसल विविधीकरण प्रोत्साहन योजना लागू की गई है. प्रोत्साहन योजना में गेहूं और धान के स्थान पर बोई जाने वाली गैर एमएसपी फसलों को कवर किया जाएगा. इससे प्रदेश में केमिकल फर्टिलाइजर (Chemical Fertilizers) पर निर्भरता कम होगी. टिकाऊ खेती संभव होगी.

फसल विविधीकरण से कम होगी लागत: पटेल

इसी साल जनवरी में एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल ने हरदा जिले के गोकुल करोड़े नामक एक किसान के खेत में पहुंचकर क्रॉप डायवर्सिफिकेशन के लिए उसकी काफी तारीफ की थी, ताकि दूसरे किसान भी गेहूं, धान और सोयाबीन जैसी पारंपरिक फसलें त्याग कर चना, सरसों और बागवानी फसलों की खेती करें. करोड़े ने गेहूं की जगह चने की बुवाई की थी. पटेल का कहना है कि किसान भाई-बहन धान और गेहूं की खेती कम करके दलहन और तिलहन पर फोकस करें. फसल विविधीकरण से लागत कम होगी और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी.

हरियाणा सरकार भी क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर कर रही है फोकस

बता दें कि पंजाब और हरियाणा के बाद एमएसपी पर ज्यादातर फसलों की खरीद में मध्य प्रदेश का नंबर आता है. गेहूं खरीद में मध्य प्रदेश पहले कुछ साल से दूसरे नंबर पर है. हरियाणा सरकार भी क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर फोकस कर रही है. इसके लिए वो धान छोड़कर दूसरी फसलों की बुवाई करने पर प्रति एकड़ 7000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दे रही है.

धान वाला खेत खाली छोड़ने पर भी 7000 रुपये प्रति एकड़ की मदद दी जा रही है. इससे हर साल धान का एरिया काफी कम हो रहा है. तेलंगाना में भी धान की फसल अधिक होने की वजह से अब वहां सरकार दूसरी फसलों पर फोकस करने का प्लान बना रही है. धान की खेती में पानी अधिक लगता है. इसलिए यह पर्यावरण के लिहाज से ठीक नहीं है.

Leave a Comment