हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में आयोजित धर्म संसद के दौरान दिए गए भड़काउ भाषण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की सूची बनाकर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है. मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वकील से पूछा कि क्या सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया था… अगर उठाया था तो उसकी जानकारी दें.
हिमाचल प्रदेश में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि यह पूरे देश में चल रहा है जो वहां बोला गया वह मैं अदालत में सार्वजनिक तौर पर बोल नहीं सकता.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कि ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया क्या? साथ ही कोर्ट ने सवाल करते हुए कहा… इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक दिशा-निर्देशों का अनुपालन राज्य सरकार ने किया या नहीं… इस पर हलफनामा दाखिल करें.
जवाब में हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि हमारी तरफ से नोटिस जारी किया गया था. ऊना में धर्मसंसद खत्म हो चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हरेक पहलू का उल्लेख करें कि क्या कदम उठाया गया.
उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हमें दो मिनट पक्ष रखने का मौका दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको आगे कि तारीख दी गई है. स्थिति रिपोर्ट पर विचार करेंगे.उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने समेत सभी कदम अदालत के फैसले के मुताबिक उठाए.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील को फटकार लगाई और कहा- इस तरह से आप तर्क नहीं दे सकते. आप संविधान से बंधे हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के गृह सचिव को धर्म संसद के मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि 9 मई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले राज्य सरकार को धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच के मसले पर उठाए गए कदम हलफनामे में अगली सुनवाई से पहले बताने होंगे.
कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव (चीफ सेक्रेटरी) को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि कोई भड़काऊ भाषण न दिया जाए और अगर हुआ तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए.
बता दें कि उत्तराखंड के रुड़की में कल धर्म संसद का आयोजन होने वाला है. इससे पहले कई राज्यों में धर्म संसद का आयोजन किया जा चुका है. इन्हीं आयोजनों में से हिमाचल प्रदेश के ऊना, यूपी के हरिद्वार और दिल्ली में हुए धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है.