आवेदक के वकील ने जवाब में कहा कि 2019 में विशिष्ट संशोधन करते हुए नई धारा 438 सीआरपीसी डाली गई है। इसके तहत आईपीसी की धारा 376(3) के तहत किए गए अपराध के लिए गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी दाखिल की जा सकती है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए दुष्कर्म व पॉक्सो के आरोपी की अग्रिम जमानत अर्जी स्वीकार कर ली है। साथ ही कहा कि ट्रायल कोर्ट कानून के अनुसार छह महीने में मामले की सुनवाई पूरी करने का प्रयास करेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की कोर्ट ने आवेदक कृष्णा की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया।
जालौन के कुठौंध निवासी आरोपी कृष्णा के खिलाफ 2023 में नाबालिग से दुष्कर्म व पॉक्सो में मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट से गुहार लगाई। अपर शासकीय अधिवक्ता ने आपत्ति करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा 438 की उप-धारा (4) के तहत आईपीसी की धारा 376 की उपधारा (3) के तहत अपराध करने के आरोप में किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी पूर्व जमानत के लिए आवेदन विचारणीय नहीं है।
वहीं, आवेदक के वकील ने जवाब में कहा कि 2019 में विशिष्ट संशोधन करते हुए नई धारा 438 सीआरपीसी डाली गई है। इसके तहत आईपीसी की धारा 376(3) के तहत किए गए अपराध के लिए गिरफ्तारी पूर्व जमानत अर्जी दाखिल की जा सकती है। कहा कि धारा 161 और 164 में पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। इसके साथ-साथ मेडिकल रिपोर्ट की जांच में घटना को असत्य पाया गया। इसलिए आवेदक के खिलाफ धारा 376(3) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने व तथ्यों का अवलोकन करने के बाद सशर्त जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।